Tag: जीन

  • अल्लाह की मख़लूक़ात (इस्लामिक सीरीज़ पोस्ट 5)

    अल्लाह की मख़लूक़ात (इस्लामिक सीरीज़ पोस्ट 5)

    जैसा कि पिछली पोस्टों में हमने देखा की अल्लाह ना सिर्फ़ मनुष्यों या इस समस्त ब्रह्माण्ड का ईश्वर है। बल्कि वह तो तमाम कायनात (समस्त संसार और इसके अलावा जो कुछ भी है सभी) का ईश्वर और मालिक है।

     

    तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है। बड़ा कृपालु, अत्यंत दयावान हैं।

    (क़ुरआन 1:1-2)

     

    अतः उस रचियता की तमाम कायनात में ना मालूम कितनी ही जानदार (मख़लूक़), बे जानदार रचनाएँ हैं जिनमे से कुछ का तो हमें ज्ञान है जैसे पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, पृथ्वी, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, ब्रह्मांड आदि और कई दूसरी जो हमारे ज्ञान से परे हैं ।

     

    हम अगर सिर्फ़ इस संसार की सजीव, सोच-समझ रखने वाली मख़लूक़ात की बात करें जिनमे ख़ुद शऊर / आत्म चेतना (Self consciousness) मौजूद हैं तो ऐसी तीन जीव (मख़लूक़ात) हैं जिनका क़ुरआन में अल्लाह ने ज़िक्र किया और हमे बताया है।

     

    1. फरिश्ते:-

    फरिश्तों को अल्लाह ने नूर से बनाया, उनका गुण यह है कि उनको अल्लाह से जो आदेश प्राप्त होता है उसे वे पूरा कर देते हैं। उनके पास स्वतंत्र-इच्छा (Free will) या स्वतंत्र-चयन (Free choice) यानी कि चुनने और अपनी इच्छा अनुसार फ़ैसला करने की छूट नहीं होती। उन्हें जो हुक्म होता है वही वे करते हैं बिना कुछ फेर बदल किये।

     

    जैसा कि बताया गया:-

    *ऐ ईमान लाने वालो! अपने आपको और अपने घरवालों को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन मनुष्य और पत्थर होंगे उन पर वह तन्दख़ू सख़्त मिज़ाज फ़रिश्ते (मुक़र्रर) हैं कि ख़ुदा जिस बात का हुक्म देता है उसकी ना फरमानी नहीं करते और जो हुक्म उन्हें मिलता है उसे बजा लाते हैं।*

    (क़ुरआन 66:6)

     

    2. जिन्न:-

    क़ुरआन में बताया गया कि जिन्न को आग से बनाया गया हैं।

    *और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया।*

    (क़ुरआन 55:15)

     

    3. इंसान:-

    क़ुरआन में बताया गया कि इंसान को मिट्टी से बनाया गया हैं।

    उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुए मिट्टी से पैदा किया।

    (क़ुरआन 55:14)

     

    प्रथम फरिश्तों फिर जिन्नों की रचना हुई और उनके बाद इंसान अस्तित्व में आये। इनमें जिन्न और इंसान अल्लाह की वह मख़लूक़ात हैं जिनको अल्लाह ने सही ग़लत चुनने और फ़ैसला लेने की शक्ति दी है। यानी कि इनके पास अल्लाह का आदेश है, अब चाहे तो यह उसके अनुसार करें और अल्लाह की रहमत और इनाम के हक़दार बने या चाहें तो ना फरमानी करें और उसकी सज़ा के हक़दार बनें।