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इस्लाम नारी को समाज में पूर्ण दर्जा नहीं देता है.?

इस्लाम में औरतों कि वह इज़्ज़त और एहतराम है जिसका और कहीं तसव्वुर (कल्पना) भी नहीं किया जा सकता इस्लाम ने जहाँ औरतों का मकाम बहुत बुलन्द किया है वहीं कुछ मामलों में उन्हें पुरूषों से भी ज़्यादा तरजीह दी है। यही वज़ह है कि आज सबसे मॉडर्न तरीन समझें जाने वाले यूरोप और अमेरिका […]

तलाक़ के बारे में सवाल ?

बिल्कुल नहीं। तलाक हो जाने पर बच्चों की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी उनके पिता की है। उनकी हर आर्थिक और दूसरी ज़रूरतों को पूरा करना पूर्ण रूप से उनके बाप के ज़िम्मे है। इस्लाम में इस तरह की कोई चीज़ नहीं है। यह पूर्ण रूप से निराधार और झूठ है। लोग यह सवाल हलाला के नाम से […]

औरतों को परदा क्यों? मर्दो को क्यों नहीं?

जवाब:-इस्लाम की विशेषता यह है कि यह ना केवल महिला सुरक्षा-मुक्त, व्यभिचार-मुक्त, अश्लीलता-मुक्त, बलात्कार-मुक्त समाज बनाने की बात करता है बल्कि वह कैसे बनेगा उसकी पूरी दिशा निर्देश (Guideline) देता है।   इसी गाइडलाइन के अंतर्गत जहाँ एक तरफ़ सख्त कानूनी सज़ा का प्रावधान हैं तो इसकी रोकथाम के लिए दूसरी तरफ़ विवरण आता है […]