Tag: अल्लाह का मतलब

  • Islamic series post 2

    जैसा की पिछली पोस्ट में स्पष्ट हुआ की समस्त मानव जाती और इस पुरे संसार के रचियता एवं स्वामी परमेश्वर को ही अरबी भाषा में अल्लाह के नाम से पुकारा जाता है।

    अब आगे हम जानते हैं की वह परमेश्वर अल्लाह कौन है ? कैसा है ?

    इसका बहुत ही सरल और साफ़ मार्गदर्शन ख़ुद अल्लाह ने क़ुरआन में कर दिया ताकि कोई भी इन सवालों के बारे में अज्ञानता में ना रहे और उसे अल्लाह के बारे में बिल्कुल स्पष्ट और सीधी मालूमात रहे।

    *फरमाया क़ुरआन में सुरः इखलास आयात 1 से 4*

    *कुल हुवल लाहू अहद*

    *अल्लाहुस समद*

    *लम यलिद वलम यूलद*

    *वलम यकूल लहू कुफुवन अहद*

    मतलब:-

    *कहो वह अल्लाह (ईश्वर) एक है।*

    *अल्लाह बरहक़ बेनियाज़ है।*

    *न उसने किसी को जना न उसको किसी ने जना।*

    *और उसका कोई हमसर (समकक्ष) नहीं।*

     

    “समद” यानी कि बरहक़ बेनियाज़ का मतलब होता है कि अल्लाह को किसी काम को अंजाम देने में किसी शरीक व मददगार की ज़रुरत नहीं वह बेनियाज़ और अपने आप में काफ़ी है। सभी उसपर निर्भर हैं पर वह किसी पर किसी बात के लिए निर्भर नहीं।

     

    ना किसी को जना, ना जना गया मतलब ना उसकी कोई औलाद है ना वह किसी की और ना कोई उसके हमसर है। यानी कि कोई उसके समकक्ष या बराबर नहीं। उस जैसा कोई नहीं है और ना ही किसी से उसकी तुलना की जा सकती है।

    क़ुरान में अल्लाह की सिफ़तों (गुणों) के बारे में और भी कई आयते हैं। लेकिन विश्व में ईश्वर के बारे में इतनी सही, सटीक और छोटी परिभाषा नहीं है।

    इस पूरे संसार का करता धर्ता, पालनहार एवं रचियता ईश्वर जो उक्त परिभाषा पर सही उतरता है उसे ही मुसलमान अल्लाह के नाम से पुकारते हैं और उसकी इबादत करते हैं ।

    अगर कोई भी उस सच्चे ईश्वर जो की उक्त परिभाषा के अनुसार है को मानता है। फिर चाहे वह उसे किसी और नाम से ही क्यों ना पुकारे वह अल्लाह को ही पुकार रहा है।

    जैसा कि फरमाया क़ुरआन में

    *”तुम अल्लाह को पुकारो या रहमान को पुकारो या जिस नाम से भी पुकारो, उसके लिए सब अच्छे ही नाम है।”*

    (क़ुरआन 17:110)

  • “Islamic Series Post 1”

    जवाब : – *अल्लाह* एक अरेबिक शब्द है जो अरबी में परमेश्वर के लिए प्रयोग किया जाता है। हिंदी और अंग्रेज़ी में उसका पर्याय *परमेश्वर* एवं *The God* होगा।

    अक्सर लोगों को यह ग़लतफहमी होती है कि अल्लाह का मतलब सिर्फ़ मुसलमानों का ख़ुदा या अरब देश का ईश्वर / भगवान होता है।

    जबकि ऐसा नहीं है।

    क़ुरआन पाक की शुरू की आयत में ही कहा गया है :-

    *तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है। बड़ा कृपालु, अत्यंत दयावान हैं।*

    (क़ुरआन 1:1-2)

     

    मतलब अल्लाह ना केवल मुसलमानों का या अरबों का बल्कि समस्त मनुष्य जाति का ही नहीं, बल्कि इस पूरे ब्रह्माण्ड और उसके अलावा जो कुछ भी है (तमाम कायनात) उसका रचियता है और उसका चलाने वाला है। सभी का परमेश्वर है।

    इस विश्व में जितने भी लोग हैं चाहे वे किसी धर्म के हों। या नास्तिक ही क्यों ना हो अमूमन सभी मानते हैं कि सबके ऊपर एक सबसे बड़ा ईश्वर है। या कोई तो है जिसने इस सारी सृष्टि को बनाया है उसी रचियता और परमेश्वर को अरबी भाषा में अल्लाह के नाम से पुकारा जाता है।

    अक्सर अज्ञानतावश और ना मालूमात की वज़ह से लोग अल्लाह शब्द और इसके पुकारने वालो से दुर्भावना रख लेते हैं और अनजाने में अल्लाह को कुछ भी अनर्गल बोल कर अपने ही बनाने वाले परमेश्वर का अनादर कर पाप के भागी होते हैं।