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  • मक्का में गैर मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों?

    मक्का में गैर मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों?

    जवाब:-  सर्वप्रथम तो कोई भी मुस्लिम मंदिरों में प्रवेश के प्रतिबन्ध पर विरोध का प्रदर्शन नहीं कर रहा है। बल्कि विरोध तो अबोध बालक की निर्मम पिटाई का हो रहा है।

    औऱ इस अमानवीय घटना का तो ख़ुद हिन्दू भाई ही विरोध कर रहे हैं। क्योंकि बेशक इस बात की शिक्षा कोई धर्म नहीं देता। बल्कि इस तरह की हरक़त कर कुछ लोग अपने ही धर्म को शर्मसार करते हैं।

    दरअसल इसके असली ज़िम्मेदार भी यह लोग ख़ुद नहीं होते बल्कि इनके पीछे वे असामाजिक और नफ़रत फैलाने वाले भड़काऊ लोग होते हैं जो निरंतर इनके दिमागों में ज़हर घोलते रहते हैं और ऐसा काम करने के लिए उन्हें निरन्तर प्रेरित करते हैं।

    और यही नहीं, जब इसके फलस्वरूप लोग कुछ ग़लत कर बैठते हैं तो यही नफ़रत और हिंसा का पाठ पढ़ाने वाले लोग उसके बाद भी (यह सोच करके कहीं सभी के विरोध पर) इन्हें आत्मग्लानि ना हो जाये इसलिए ब्रेनवॉश जारी रखते हैं और कुतर्को से उनकी पीठ थपथपाते रहते हैं और उन्हें बताते रहते हैं कि तुमने कुछ ग़लत नहीं किया बल्कि बहुत अच्छा किया है।

    बिल्कुल ऐसे ही यह ब्रेनवॉश नफरती गैंग, यहाँ पानी पीने गए बच्चे की पिटाई को डिफेंड कर सही साबित करने में लगे हैं। पहले कहे गए कई झूठ कि वह बच्चा यह करने आया था या वह करने आया था जब किसी झूठ से बात नहीं बनी तो एक और कुतर्क, मक्का में प्रवेश का देने लगे।

    जैसा की सबको पता है कि मंदिर का पर्याय मस्जिद होती हैं। जबकि मक्का तो एक तीर्थ और विशेष स्थान है जिसका पर्याय दुर्गम तीर्थ स्थान और विशेष स्थान हो सकते हैं और ऐसे तो कई हिन्दू स्थान, गर्भगृह, कपाट आदि हैं जहाँ मुस्लिम तो दूर की बात आम हिंदुओं का प्रवेश भी वर्जित होता है।

    ऐसे स्थान विशेष ही होते हैं और आम शहर रास्तों में तो होते नहीं कि जहाँ कोई ग़लती से प्रवेश कर जाए या पानी पीने के लिये ही पहुँचे।

    जबकि ऐसा मंदिर, मस्जिदों में हो सकता है और इस्लाम की किसी मस्जिद में हिंदुओं को पानी पीने के लिए नहीं रोका जाता बल्कि इस्लाम में तो प्यासों को पानी पिलाना बड़ा पुण्य का काम है। साथ ही जैसा कई हिन्दू भाइयों, पंडितों ने हमे बताया कि हिन्दू धर्म और मंदिरों में भी ऐसा ही है।

    अतः इस्लाम के मुताबिक और हिन्दू धर्म के हमारे ज्ञान के मुताबिक तो यह ठीक नहीं फिर भी अगर कोई मंदिर या मस्जिद कमेटी भी गैर धर्म वालो को पानी पीने के लिए प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना चाहे तो इसका प्रबंधन अवश्य कर ले कि अनजाने या गलती से प्रवेश की गुंजाइश ना रहे।

    जैसे कहीं लिख दिया गया प्रवेश वर्जित है और बेचारा अनपढ़ अनजाने में अंदर चला गया तो फिर उसे इस बुरी तरह पीटा जाए की वह अधमरा-सा हो जाए या मर ही जाए।

    क्योंकि यह तो किसी भी स्थिति में सही नहीं होगा और जो भी ऐसा करेगा वह अपने धर्म और उसकी शिक्षा का ही ग़लत प्रदर्शन कर उसे शर्मसार करेगा और नफ़रत फैला कर लोगों को लड़ाने वाले लोग तो चाहते भी ही यही हैं। अतः हमें सोचना चाहिए कि वाकई में हमे ख़तरा किन लोगों से है? दूसरे धर्म वालो से या हमारे धर्म के लोगों का ही ब्रेनवॉश करने वालों से?

  • मुसलमान असुरों के वंशज हैं ?

    मुसलमान असुरों के वंशज हैं ?

    जवाब:- सबसे पहले तो आप ज़रा ये बताये की यह सब बातें आपने अपने कौन से धर्म ग्रन्थ से ली हैं? कौन से वेद, पुराण, रामायण में यह लिखा है? ज़रा इसका संदर्भ (रेफरेंस) तो बताएँ?

    यहाँ कही बातों का कोई आधार ही नहीं है किसी हिन्दू धर्म ग्रन्थ में ऐसा कोई उल्लेख ही नहीं है।

    वैसे तो ना इस्लाम में कोई वंशवाद / नस्ल / जातिवाद है। ना ही मक्का मदीना में कोई शिवलिंग है। बल्कि दुनियाभर में हर नस्ल हर रंग के मुस्लिम हैं जिनके पूर्वज भी भिन्न हैं।

    लेकिन इस कहानी को फिर भी सच मानने वालों को बुद्धि का प्रयोग कर ख़ुद ही थोड़ा विचार करना चाहिए।

    ❗ यह इतना तर्कहीन और मूर्खतापूर्ण इसलिए भी है कि हिन्दू धर्म का अल्प ज्ञान रखने वाला भी यह बात जानता है कि श्री राम त्रेता युग में हुए थे और इस पोस्ट के अनुसार यह घटना त्रेता युग की हुई जबकि देवताओं, ऋषि मुनियों का असुरों से युद्ध तो कई युगों बाद तक चलता रहा।

    जैसे हिन्दू धर्म ग्रँथों के अनुसार ख़ुद श्री कृष्ण ने बकासुर, अघासुर, केशी असुर आदि से युद्ध किया और उनका नाश किया। सभी जानते हैं श्री कृष्ण द्वापर युग में हुए।

    अतः श्री राम और श्री कृष्ण में त्रेता युग और द्वापर युग के बीच हिन्दू मान्यताओ के अनुसार हज़ारों लाखों वर्षों का अंतर है। तो यदि इस बात में कुछ सच्चाई होती तो क्यों इन हज़ारों वर्षों तक असुरों से युद्ध करते रहने की बजाय किसी ने रेगिस्तान में जाकर शिव लिंग पर गंगा जल क्यों नहीं चढ़ा दिया जिससे कोई असुर बचता ही नहीं? इसका मतलब तो यह हुआ वे व्यर्थ ही लड़ते रहे? उन देवताओं यहाँ तक कि श्री कृष्ण को भी इस बात की जानकारी नहीं थी? जो बात इस व्हाट्सएप ज्ञाता को 21वी सदी में आकर मालूम हो गई?

    अतः ग्रथों की जांच नहीं कर सकते तो कम से कम अपनी बुद्धि और सामान्य ज्ञान का ही थोड़ा प्रयोग करें।

    वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी व्हाट्सएप फ़र्ज़ी ज्ञान को सही समझ कर बीजेपी के उत्तर प्रदेश के मंत्री रघुराज सिंह ने इसे अपने बुर्क़ा बेन की मांग में दिये भाषण में उल्लेख कर अपनी फजीहत करवा ली थी और चौतरफा हँसी के पात्र बन गए थे। विश्वभर की मीडिया के सामने फजीहत (BJP Minister’s Bizarre tale / बीजेपी के मंत्री ने सुनाई विचित्र कहानी) करा बैठे रघुराज जी की इस कहानी से मुसीबत में फंसता देख बीजेपी ने तुरन्त इस बयान से अपना पल्ला झाड़ा और उन्हें नोटिस थमाते हुए उक्त कहानी को उनकी निजी सोच बताया था।

    यानी झूठ की बुनियाद पर नफ़रत फैलाने वाले इतना गिर चुके हैं कि दूसरे धर्मो को तो छोड़िये अब वे ख़ुद के धर्म के बारे में ही झूठ गढ़ने लगे हैं और अपमानजनक कृत्य कर रहे हैं। अतः इस पर तो सबसे पहले ख़ुद समझ रखने वाले हिंदू भाइयों को चिंता कर इस पर संज्ञान लेकर इसे रोकना चाहिए।