सवाल:- अगर ख़तना करना ज़रूरी है तो अल्लाह ने उस एक्स्ट्रा पार्ट को बनाया ही क्यों जिसे ख़तना कर हटाया जाता है?

*जवाब*:- आज ख़तना (Circumcision) करने के कई लाभ साबित हो चुके हैं जैसे यह यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) से बचाता है, पीनस केंसर से बचाव करता है, HIV एड्स के संक्रमण के खतरे को कम करता है आदि। इसीलिए आज अमेरिका जैसे देश में 50% से अधिक पुरुष की तादाद ख़तना (Circumcised) किए हुए है जब कि वहाँ मुस्लिमो की आबादी सिर्फ़ 1.1% है।

ख़तना ना होने की वज़ह से हर वक़्त पेशाब के कुछ कतरे लिंग के आस पास रह जाते हैं जिससे गंदगी बनी रहती है और इंसान पूरी तरह से पाक नहीं हो पाता। पाकी (स्वच्छता) इस्लाम का अभिन्न अंग है। इसके और भी कई लाभ है चूंकि अभी यह विषय नहीं इसलिये विस्तार में जाने की आवश्यकता नहीं।

अब मुख्य बिंदु पर आते हैं कि यदि इसके इतने लाभ हैं और अल्लाह ने इसका हुक्म दिया तो फिर उसने यह हिस्सा (Prepuce) बनाया ही क्यों और बच्चे को पैदा ही इसके बिना क्यों ना किया?

गौर करने वाली बात यह है कि अल्लाह ने इंसानी जिस्म में कई ऐसी चीजें बनाई हैं जिनको काटा या हटा दिया जाता है, कुछ को जन्म के समय तो कुछ को जीवन भर निरन्तर क्रम में। जैसे जन्म उपरांत गर्भनाल (Umbilical cord) काट दी जाती है। बाल और नाखून भी काटे जाते हैं। इंसान जीवन भर अपने बदन से गंदगी मल, कफ आदि हटाता रहता है।

इन सब के अपने फायदे हैं और कोई चीज़ हिकमत (बुद्धिमत्ता) से खाली नहीं। अल्लाह ही बेहतर जानता है कि वह किस तरह फ़ायदेमंद हैं, गर्भावस्था में प्रसव के दौरान, पैदाइश के शुरुआती सालों में या फिर जीवन में किस समय उनका हटा देना फ़ायदेमंद है।

वैसे ही ख़तना कर हटा दी जाने वाली चमड़ी के बारे में हमे आज मेडिकल साइंस बताती है कि यह शिश्न की अतिरिक्त त्वचा (Prepuce) का हिस्सा जन्म के समय बच्चे के शिश्न की रक्षा (Protection) करता है।

इसमे कोई शक नहीं कि अगर अल्लाह चाहता तो वह उपर्युक्त बताई सभी चीज़ों के बिना भी इंसान को बना सकता था। लेकिन यह उसकी इच्छा है कि वह इन चीज़ों के द्वारा इंसानों की आज़माइश (परीक्षा) करता है कि आप उस के हुक्म (आदेश) का पालन करते हैं कि नहीं?

उदाहरण के तौर पर इस्लाम में शराब पीना हराम है। तो क्या आप कहेंगे कि शराब पीना अगर हराम है तो फिर अल्लाह ने शराब बनाई ही क्यों? स्वाभाविक-सी बात है अगर शराब होती ही नहीं तो यह परीक्षा होती ही कैसे? उसी तरह शिश्न की अतिरिक्त त्वचा (Prepuce) का हटाना यानी ख़तना करने के बारे में भी है कि अगर यह होता ही नहीं तो इसकी आज़माइश कैसे होती?

ऐसे ही कई और उदाहरण दिए जा सकते हैं। निश्चित ही यह जीवन तो परीक्षा का स्थान है और क़ुरआन में कई जगह इसका ज़िक्र है कि अल्लाह अपने बंदों की अलग-अलग तरीकों से आज़माइश करता है और उसका कोई काम हिकमत से खाली नहीं।

 

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