क्या फ्रांस के विरोध में हो रहा प्रदर्शन देश विरोधी है?

जवाब:- बड़े ही अफ़सोस और विडंबना की बात है कि एक संकीर्ण और षड्यंत्रकारी सोच के द्वारा आज देश के मुसलमानों की हर गति विधि, हर काम, उनकी हर समस्या और उनके किसी द्वारा किए गए किसी वैध विरोध को देश विरोधी कार्यवाही बताया जाता है और कुतर्कों के द्वारा सभी को देश विरोधी साबित कर मुसलमानों के प्रति नफ़रत फैलाई जाती है। ऐसा ही प्रयास इस बार फ्रांस के कुकृत्य के विरोध के मामले में हो रहा है। जिसे बेवजह ग़लत रूप देकर इसे देश के खिलाफ बताने की कोशिश की जा रही है।

जहाँ अक्सर लोगों को मालूम ही नहीं है कि मामला क्या है और वे इस तरह के षड्यंत्र में आकर बेवजह ही इसे ग़लत नज़र से देख रहे है और सवाल कर रहे हैं। इसलिए इन सवालों के जवाब देने से पहले आप यह जाने की यह मामला है क्या? और विरोध क्यों हो रहा है? और क्यों आपको भी इस विरोध में शामिल होना चाहिए।

 

फ्रांस का विरोध क्यों? और क्यों सिर्फ़ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोगों को इस विरोध में शामिल होना चाहिए?

 

जो एक बहुत ही असभ्य, गैर ज़िम्मेदाराना और घटिया बात है। इसी के अंतर्गत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम के अनादर पर दुनिया भर के मुसलमान, फ्रांस के इस घटिया कृत्य का विरोध कर रहे हैं और कुछ लोग सिर्फ़ मुस्लिमों से नफ़रत में इतने अंधे हो चुके हैं कि वह बिना कुछ जाने ही फ्रांस का इस बात पर समर्थन कर रहे हैं। वह यह अच्छी तरह से समझ लें कि फ्रांस का यह विधान “बोलने की स्वतंत्रता” सिर्फ़ मुसलमानों और इस्लाम के लिये नहीं है। यह तो हर धर्म के भगवान, महा पुरुषों का अपमान और अश्लील चित्रण द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत करने की छूट देता है। आज इस्लाम धर्म के पैग़ंबर का अपमान किया गया है कल हिन्दू, सिख व अन्य किसी दूसरे धर्मों के बारे में भी यही बात हो सकती है। इसीलिए फ्रांस के इस घटिया विधान का सभी को विरोध करना चाहिये।

 

और यदि आप ऐसा नहीं कर रहे या फ्रांस का इस बात में समर्थन कर रहे हैं तो इसका मतलब यह होगा की आपको इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि कोई आपके धर्म, आस्था, चिन्हों आदि का कैसा भी अपमान करे। आप को इस पर कोई आपत्ति नहीं है और आप इस बात का समर्थन कर रहे हैं कि सभी को यह करने की छूट होना चाहिए।

 

अतः अब आप ख़ुद तय कर लें कि आपको इस बारे में फ्रांस का समर्थन करना चाहिए या उसका विरोध?

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