Tag: कायनात की तख़लीक़

  • इस्लाम और बिग बेन्ग।

    इस्लाम और बिग बेन्ग।

    अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञ सृष्टि की व्याख्या एक ऐसी घटना (Phenomenon) के माध्यम से करते हैं जिसे व्यापक रूप से महा विस्फोट (Big Bang) के रूप में जाना जाता है। महा विस्फोट (Big Bang) के अनुसार प्रारम्भ में यह सम्पूर्ण सृष्टि प्राथमिक रसायन (Primary nebula) के रूप में थी फिर एक महा विस्फोट यानी बिग बैंग से माध्यमिक अलगाव (Secondary separation) हुआ जिस का नतीजा आकाशगंगा के रूप में उभरा, फिर वह आकाशगंगा विभाजित हुआ और उसके टुकड़े सितारों, गृहों, सूर्य, चंद्रमा आदि के रूप में परिवर्तित हो गए। कायनात, प्रारम्भ में इतनी पृथक और अछूती थी कि संयोग (Chance) के आधार पर उसके अस्तित्व में आने की संभावना (Probability) शून्य थी। पवित्र क़ुरआन सृष्टि की संरचना के संदर्भ से निम्न लिखित आयात में बताता है।

     

    *‘‘क्या वह लोग जिन्होंने (नबी स.अ.व. की पुष्टि) से इनकार कर दिया है ध्यान नहीं करते कि यह सब आकाश और धरती परस्पर मिले हुए थे फिर हम ने उन्हें अलग किया।…”*

    (क़ुरआन 21:30)

    इस क़ुरआनी वचन और ‘‘बिग बैंग” के बीच आश्चर्यजनक समानता से इनकार सम्भव ही नहीं! यह कैसे सम्भव है कि एक किताब जो आज से 1400 वर्ष पहले अरब के रेगिस्तानों में व्यक्त हुई, अपने अन्दर एक ऐसे असाधारण वैज्ञानिक यथार्थ समाए हुए है?

    आकाशगंगा की उत्पत्ति से पूर्व प्रारम्भिक वायुगत रसायन वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि सृष्टि में आकाशगंगाओं के निर्माण से पहले भी सृष्टि का सारा द्रव्य एक प्रारम्भिक वायुगत रसायन (Gas) की अवस्था में था, सृष्टि के इस प्रारम्भिक द्रव्य के विश्लेषण में गैस से अधिक उपयुक्त शब्द ‘‘धुआँ” है।

    क़ुरआन में सृष्टि की इस अवस्था ‘‘धुआँ” शब्द से रेखांकित हुई है।

    “फिर उस ने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह मात्र धुआँ था और उस ने उससे और धरती से कहा, ‘आओ, स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ।’ उन्होंने कहा, ‘हम स्वेच्छा के साथ आए।”*

    (क़ुरआन 41:11)

     

    इस तरह सृष्टि कि उत्पत्ति (बिग बैंग) के अनुकूल है जिसके बारे में अंतिम सन्देष्टा पैग़म्बरे इस्लाम मुहम्मद (स.अ.व.) से पहले किसी को कुछ ज्ञान नहीं था । (बिग बैंग 20 वी शताब्दी की खोज है जो पैगम्बर के काल से 1300 वर्ष उपरांत है।)

     

    अगर इस युग में कोई भी इसका जानकार नहीं था तो फिर इस ज्ञान का स्रोत क्या हो सकता है?

  • Islamic series post 3

    जैसा कि हमने देखा अल्लाह बरहक़ बेनियाज़ है और उसे किसी काम को अंजाम देने में किसी की मदद या साथ की ज़रूरत नहीं पड़ती।

    जब वह किसी काम का इरादा कर लेता है तो वह उसे अंजाम देता है।

    फ़रमाया –

    वह (अल्लाह तआ’ला) आसमानों और ज़मीन का ईजाद करने वाला (पहली बार पैदा करने वाला) है और जिस बात का वह फ़ैसला करता है, उसके लिए बस ये हुक्म देता है कि “हो जा” और वह हो जाता है।*

    (क़ुरआन 2:117)

    साथ ही अल्लाह की कुदरत है कि वह हर काम एक बेहतरीन निज़ाम के ज़रिये करता है जिसको जान ने पर बंदे को अपने ईश्वर की महानता का अंदाज़ा होता है।

    उसी तरह इस सृष्टि की रचना किस प्रकार हुई उस बारे में अल्लाह ने हमें क़ुरआन में बताया।

     

    निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया फिर राजसिंहासन पर विराजमान हुआ। वह रात को दिन पर ढाँकता है जो तेज़ी से उसका पीछा करने में सक्रिय है और सूर्य, चन्द्रमा और तारे भी बनाए, इस प्रकार कि वे उसके आदेश से काम में लगे हुए है। सावधान रहो, उसी की सृष्टि है और उसी का आदेश है। अल्लाह सारे संसार का रब, बड़ी बरकत वाला है।

    (क़ुरआन 7:54)

     

    क़ुरआन में अल्लाह ने इस सृष्टि की रचना पर बहुत ही आश्चर्यजनक प्रकाश डाला है और वह बातें 1400 साल पहले बता दी जो विज्ञान 20 वीं सदी में जाकर समझ पाया है और विज्ञान के जानकार यह जान-समझकर, यह मानने पर मजबूर होते हैं कि निश्चय ही क़ुरआन अल्लाह का कलाम है। ऐसी ही कुछ आयात (आयत का बहुवचन), बिग बैंग थ्योरी और सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में हम अगली पोस्ट में जानेंगे।