सृष्टि की रचना

जैसा कि हमने देखा अल्लाह बरहक़ बेनियाज़ है और उसे किसी काम को अंजाम देने में किसी की मदद या साथ की ज़रूरत नहीं पड़ती।

जब वह किसी काम का इरादा कर लेता है तो वह उसे अंजाम देता है।

फ़रमाया –

वह (अल्लाह तआ’ला) आसमानों और ज़मीन का ईजाद करने वाला (पहली बार पैदा करने वाला) है और जिस बात का वह फ़ैसला करता है, उसके लिए बस ये हुक्म देता है कि “हो जा” और वह हो जाता है।*

(क़ुरआन 2:117)

साथ ही अल्लाह की कुदरत है कि वह हर काम एक बेहतरीन निज़ाम के ज़रिये करता है जिसको जान ने पर बंदे को अपने ईश्वर की महानता का अंदाज़ा होता है।

उसी तरह इस सृष्टि की रचना किस प्रकार हुई उस बारे में अल्लाह ने हमें क़ुरआन में बताया।

 

निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया फिर राजसिंहासन पर विराजमान हुआ। वह रात को दिन पर ढाँकता है जो तेज़ी से उसका पीछा करने में सक्रिय है और सूर्य, चन्द्रमा और तारे भी बनाए, इस प्रकार कि वे उसके आदेश से काम में लगे हुए है। सावधान रहो, उसी की सृष्टि है और उसी का आदेश है। अल्लाह सारे संसार का रब, बड़ी बरकत वाला है।

(क़ुरआन 7:54)

 

क़ुरआन में अल्लाह ने इस सृष्टि की रचना पर बहुत ही आश्चर्यजनक प्रकाश डाला है और वह बातें 1400 साल पहले बता दी जो विज्ञान 20 वीं सदी में जाकर समझ पाया है और विज्ञान के जानकार यह जान-समझकर, यह मानने पर मजबूर होते हैं कि निश्चय ही क़ुरआन अल्लाह का कलाम है। ऐसी ही कुछ आयात (आयत का बहुवचन), बिग बैंग थ्योरी और सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में हम अगली पोस्ट में जानेंगे।

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