अक्सर लोग ये इल्ज़ाम लगाते है कि इस्लाम तलवार के ज़ोर से फैला, मुस्लिमों ने लूट मार मचाई, बलात्कार किया, अपहरण किया, ये आतंकी होते है? आदि! आदि!
यहीं तक नहीं बल्कि ये भी कहा जाता है कि उपर्युक्त लिखी गई बातें इस्लामिक धर्म ग्रन्थों में लिखी होती है।
इस तरह के इल्ज़ाम लगाने वाले भाईयों से निवेदन है कि वे सोचकर बताये कि अगर इन बातों में रत्ती बराबर भी सच्चाई होती तो क्या आज जो लोग मुसलमान है, क्या वे इन सब बातों के बावजूद मुस्लिम होते..?
क्या इतने सारे देश मुस्लिम होते..? क्या आज विश्व में सबसे ज़्यादा तेज़ी से स्वीकार किया जाने वाला धर्म इस्लाम होता?
बिल्कुल नहीं ..! तो फिर हम इस्लाम कि सच्चाई को जानने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं..?
भारत में सन् 629 में इस्लाम ने प्रवेश किया। कुछ लोग झूठे इतिहास और तथ्यों की बुनियाद पर ऐसे आरोप लगाते हैं कि इस्लाम भारत में अत्याचार से फैला और अधिकांश लोग जांच पड़ताल करे बिना उसे सही मान लेते हैं। उन्हें यह सोचना चाहिए कि क्या इन व्हाट्सएप्प पर झूठे और फेक मैसेज भेजने वालों को क्या *स्वामी विवेकानंद* से ज़्यादा इतिहास का ज्ञान है?
विवेकानंद जी ने इस सोच को की भारत में इस्लाम तलवार से फैला है को एक *पागलपन* बताया है।
उन्ही के शब्दों में :
*”भारत में मुस्लिम विजय ने उत्पीड़ित, गरीब मनुष्यों को आजादी का जायका दिया था। इसीलिए इस देश की आबादी का पांचवां हिस्सा मुसलमान हो गया। यह सब तलवार के ज़ोर से नहीं हुआ। तलवार और विध्वंस के जरिये हिंदुओं का इस्लाम में धर्मांतरण हुआ, यह सोचना पागलपन के सिवाय और कुछ नहीं है।”*
(संदर्भःSelected Works of Swami Vivekanand, Vol.3, 12th edition,1979. p.294)
पैगम्बर ए इंसानियत, अंतिम सन्देष्टा हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। लगभग 610 ईस्वी में लोगों को इस्लाम कि दावत दी।
23 साल मात्र में पूरा अरब मुसलमान हो गया। (अरब कोई 1 देश नहीं बल्कि आज के दौर के 22 देशों के समूह को अरब कहते है)
और सिर्फ़ 1 ही सदी में यह पूरे विश्व में फैल गया। उस वक़्त दुनियाँ में 2 ताक़ते {फारस और रोम} थी जो आज के अमेरिका, रूस और चीन जितनी ताक़तवर थी। अरब के लोगों के पास तो जंगी / युद्ध का सामान ना के बराबर था। अतः क्या तलवार के दम पर इस्लाम का प्रसार सम्भव था?
और आज 1441 साल बाद भी सभी मुस्लिम देश और बाक़ी देशों में रह रहे मुस्लिमों के वंशज आज भी मुसलमान ही है।
जिस तरह आज दलित / अश्वेत विश्व भर में इतिहास और उन पर हुए अत्याचारों के प्रति जागरूक है और उस व्यवस्था एवं अपने पूर्वजों पर हुए अत्याचार के प्रति विद्रोह में हैं। तब अगर इस्लाम अत्याचार या जबरन थोपा गया होता तो ऐसा ही विद्रोह और त्याग मुस्लिम देशों में और मुस्लिम वंशजो में नहीं होता…?
निश्चित ही ऐसा नहीं है, बल्कि यह सभी तो इस्लाम को अपने हृदय से आत्मसात किये हुए हैं।
अतः स्पष्ट है कि इस्लाम तलवार, अपहरण, ज़ुल्म सितम से नहीं बल्कि उसकी *सच्चाई / सत्यता/ हक़्क़ानियत उसके ईश्वरीय धर्म* होने के कारण फैला है।
*यकीन मानिए अगर आप इस्लाम का अध्ययन करेंगे तो आप भी इससे आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इस्लाम को (सही स्रोतों से) पढ़ कर देख लीजिये।*
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