जहाँ मुस्लिम कम होते हैं वहाँ शान्ति की बात करते हैं और जहाँ अधिक होते हैं वहाँ दूसरे धर्मों के लोग सुरक्षित नहीं रहते? लोकतंत्र वहीं है जहाँ हिन्दू अधिक है?
इस सवाल के बारे में पहले आप ख़ुद खुली बुद्धि से अपने आप से पूछें क्या UAE, क़तर, ओमान, कुवैत, अरब, बहरीन में दूसरे धर्मों के लोग सुरक्षित नहीं है? अगर नहीं तो फिर क्यों हमारे देश और दुनियाँ भर से लाखों (गैर मुस्लिम) लोग वहाँ जा रहे हैं और वहीं लम्बे समय तक बसने वालों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है? जबकि सभी देशों में मुस्लिम 70% से अधिक हैं??
यदि आप खाड़ी देशों के अलावा देखना चाहते हैं तो एशिया में आप मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई देख लें। वहाँ भी यही स्थिति है।
यह भी पर्याप्त नहीं तो फिर तुर्की, जॉर्डन, लेबनान, मोरक्को, मिस्र (इजिप्ट) देख लें। इनके अलावा भी देखना है तो अल्बानिया, सेनेगल, मालदीव, उत्तरी सायप्रस आदि और भी कई देश हैं जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक है और दूसरे धर्मों के लोग सदियों से सुरक्षित औऱ सम्पन्नता से रह रहे हैं।
ज़रा खुली बुद्धि से नज़र ही दौड़ा लें, इसके लिए कोई बहुत गहन अध्ययन करने की भी ज़रूरत नहीं है तब यह झूठ क्यों कहा और मान लिया जाता है कि जहाँ मुस्लिम अधिक हैं वहाँ दूसरे धर्मो के लोग सुरक्षित नहीं?
इसके आगे इस तथ्य पर बात करें कि लोकतंत्र सिर्फ़ वहाँ है जहाँ हिन्दू अधिक है और कोई मुस्लिम देश सेक्युलर नहीं है यह तो एक साफ़ झूठ है जो बस हम पढ़ते हैं और मान लेते हैं। चेक भी करने का कष्ट नहीं करते। तो आज ख़ुद गूगल का प्रयोग कर चेक कर ले की कितने देशों और विशेषकर मुस्लिम देशों में लोकतंत्र एवं सेक्युलर स्टेट है? संक्षिप्त में कुछ के नाम अल्बानिया, अज़रबैजान, बोस्निया, बांग्लादेश, बुर्किना फासो, चाड, इंडोनेशिया, कज़ाख़िस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान आदि हैं।
कुछ एक जगह / मामलों को हाइलाइट कर ग़लत छवि कैसे बनाई जाती है इस को आसानी से हम इस तरह समझ सकते हैं कि विश्व धार्मिक असहिष्णुता सूचकांक (World religious intolerance) का विश्लेषण करने वाली वैश्विक संस्था Pew research center analysis report ने 2017 की रिपोर्ट में विश्व के 198 देशों में भारत को 4 थे नम्बर पर रखा था। इसे मानें तो विश्व में अल्पसंख्यकों पर धर्म के कारण हो रहे अत्याचार में भारत 4थे नम्बर पर है यानी यहाँ स्थिति विश्व के कई कुख्यात देशों से भी बुरी है जबकि यह बात सही नहीं है। ना भारत में ऐसी स्थिति है और यह एक बिल्कुल ग़लत चित्रण हुआ है। दरअसल यह कुछ मॉब लिंचिंग और दूसरी कुछ घटनाओं पर आधारित कर दिया गया।
उसी तरह कुछ एक मामलों को हाइलाइट कर यह बताने का प्रयत्न किया जाता है कि जहाँ मुस्लिम अधिक है वहाँ दूसरों पर अत्याचार हो रहा है। जो कि बिल्कुल ग़लत है।
और यदि कोई इस दृष्टिकोण से सहमत हैं और ऐसे ही विश्लेषण करना चाहता है तो फिर उसको ठीक इसका उल्टा यानी कि यह मानने पर मजबूर होना होगा कि मुस्लिम जहाँ कम हैं वहाँ उन पर अत्याचार हो रहा है। जैसे म्यान्मार में रोहिंग्या की पुरी की पुरी आबादी को मार-काट कर निष्कासित कर दिया गया। असम में, बोडो ने मुस्लिमों के साथ क्या किया? श्रीलंका में मुस्लिमों पर अत्याचार, चीन में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार! और ऐसे एक दो नहीं बल्कि विश्व भर में स्वीकृत (Recognized) मामले हैं जो सैकड़ों की तादाद में है।
अतः आंकड़ों और भौगोलिक स्थिति पर नज़र डालें तो यह बात सामने आती है कि यह कहना झूठ के सिवा और कुछ नहीं कि जहाँ मुस्लिम अधिक है वहाँ दूसरे धर्म वाले सुरक्षित नहीं। बल्कि ऐसे कई देश हैं जहाँ गैर मुस्लिम बहुत अच्छी स्थिति में हैं और वे इन मुस्लिम बहुल मुल्कों में रहना और बसना पसंद कर रहे हैं।
लेकिन अगर कुछ एक जगहों और मामलों पर ही ध्यान देकर तय करना हो तो फिर इसके विपरीत इस बात के कई ज़्यादा साक्ष्य मिलते हैं कि जिस जगह मुस्लिम कम हैं वहाँ वे सुरक्षित नहीं है।