सवाल:- एक वायरल पोस्ट में मुस्लिम विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र पर मुस्लिमों की जनसंख्या का प्रतिशत बता कर यह कहा जा रहा है कि जहाँ मुस्लिम अथवा ईसाई जनसंख्या 65% से अधिक हैं वहाँ से कोई हिन्दू विधायक अथवा सांसद निर्वाचित हुआ हो अतः मुस्लिम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं..
जवाब:- मुस्लिमों के अक्सर जवाब ना देने और चुप्पी की वज़ह से झूठ और नफ़रत फैलाने वालों का दुस्साहस इतना बढ़ चुका है कि जो आँकड़े और तथ्य ख़ुद उनके ख़िलाफ़ हैं उनको भी वे मुस्लिमों के ख़िलाफ नफ़रत फैलाने में इस्तेमाल कर रहें हैं, जिसका सबसे बेहतरीन नमूना यह पोस्ट ख़ुद है, देखें:-👇
❗ जब धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा जा रहा है कि जहाँ 65% से अधिक मुस्लिम हैं वहाँ से कोई हिन्दू सांसद या विधायक नहीं है। *अगर ऐसे ही देखा जाना है तो बताएं जहाँ 65% से अधिक हिन्दू हैं वहाँ से क्या एक भी मुस्लिम सांसद है?*
❗ इसी तरह जब कुछ एक मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम सांसद होने पर मुस्लिमों के धर्मनिरपेक्ष होने पर सवाल उठाया जा रहा है, तब आप इसी तरह उन 500 से ज़्यादा सांसदों के बारे में क्या कहेंगे जो हिन्दू हैं और हिन्दू बहुल इलाकों से है??
वाह कमाल की सेलेक्टिव अप्रोच और कमाल की ब्रेन वाशिंग टेक्निक है।
❗ देश में 15% मुस्लिम होने के बावजूद संसद में उनकी भागीदारी 5% से भी कम क्यों है?
❗ यह आंकड़े किसकी पंथ निरपेक्षता पर सवाल खड़े करते हैं? हिन्दूओ कि या मुस्लिमों की??? 🤔
❗ क्यों किसी भी प्रदेश का मुख्यमंत्री मुस्लिम नहीं है?
❗ 15% मुस्लिम हमेशा 85% हिन्दू नेताओ सांसदों, प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को 70 सालों से चुनते आ रहे हैं? कभी 85% वालों ने किसी मुस्लिम को चुनने की क्यों नहीं सोची?
यह आँकड़े किसकी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाते हैं? हिंदुओं की या मुसलमानों की?
इन सभी के बाद भी मुस्लिमों ने कभी कोई शिकायत नहीं कि लेकिन अब जब यहाँ तो ख़ुद उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात का प्रदर्शन हो रहा है। तब इन सवालों को उठाना ज़रूरी हुआ। साथ ही मुस्लिमों को यह भी देख लेना चाहिए कि चुप रहने और झूठ को फैलने देने से क्या परिणाम होते हैं।