दी लॉस्ट ट्राइब, ग्रेटर इज़राइल और मुस्लिमो को बदनाम करने की साज़िश।

यहूदियों का यह मानना है कि वह ग्रेटर इज़राइल का निर्माण कर विश्वभर में फैले हुए यहूदीयो को वहाँ बसाये। यह उनके मसीहा (Messiah /Jewish king from Davidic line) के आगमन से जुड़ा है जिसके बारे में उनका मानना है कि उस मसीहा के आने से मसीआनिक काल (Messianic Age) का आरंभ होगा जिस पूरे काल में उनके इस मसीहा का राज होगा।
 
यही कारण है कि वे दुनियाभर में फैले यहूदियों को इज़राइल में लाकर बसाना चाहते हैं। शुरुआत में यहूदियों के 12 कबीले थे जिन्हें अंग्रेज़ी में ट्राइब कहा जाता है लेकिन 722 ईसा पूर्व निओ असीरियन ने यहूदियों के इन 12 कबीलों में से 10 कबीलों को निष्कासित कर दिया जो कि दुनिया में अलग-अलग जगह जाकर बस गए। इन्हें ही लॉस्ट ट्राइब यानी कि गुम हुए कबीले या नस्लें कहा जाता है।
 
अब जब 1948 में मित्र राष्ट्र द्वारा जबरन फिलिस्तीन की ज़मीन पर इज़राइल देश की स्थापना की गई तो उन्होने इसके बाद अपने उन 10 गुम हुए कबीलों की दुनियाभर में तलाश शुरू की। इसी को लेकर इज़राइल में एक कानून है जिसे “Law of return”(लॉ आफ रिटर्न) कहा जाता है यानी कि ढूँढने पर अगर दुनियाभर में कहीं भी बसा कोई यहूदी पाया जाता है तो उसे इज़राइल की राष्ट्रीयता दी जाएगी साथ ही अगर यहूदी पूरी दुनिया में कही के भी हो वह इजराइल के नागरिक कहलाएंगे। जब भी वह इज़राइल आना चाहे उन्हें नागरिकता मिलेगी।
 
इसी तलाश में दुनिया के अलग-अलग देशों से अलग-अलग नस्लें पाई गई जिनकी यहूदी वंशावली (Ancestry) है जिन्हें इसी कानून के अंतर्गत इज़राइली राष्ट्रीयता दी गई।
 
जैसे ख़ुद हमारे देश भारत में भी कुछ जाती पाई गई हैं जो इसके अंतर्गत आती हैं जिसके बारे में आप विकिपीडिया (Wikipedia) में पढ़ सकते हैं जिनमे से एक है “बनिए  मेनाशे” (Bnei Menashe) जिनका सम्बन्ध उन 10 कबीलों में से Menashe कबीले से पाया गया।
 
▪️ गौर करने वाली बात यह है कि इज़राइल चारों तरह से मुस्लिम देशों से घिरा है। और फ़िलहाल वह एक छोटा-सा राष्ट्र है, अब अगर वह अपने ग्रेटर इज़राइल के निर्माण के लिए सारी दुनिया से यहूदियों को वहाँ लाकर बसाता है तो स्वभाविक है कि उसे विस्तार करने की ज़रूरत पड़ेगी। उसे और जगह की ज़रूरत पड़ेगी ही और इसके लिए उसे आस पास के मुस्लिम देशों पर कब्ज़ा करना होगा और वहाँ की ज़मीन पर कब्ज़ा किये बिना यह सम्भव नहीं है।
 
लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब किसी देश को अनुमति नहीं है कि वह जबरन अपना विस्तार करे और बेवजह आस पास के देशों पर कब्ज़ा करे। अगर कोई ऐसा करता है तो विश्व के बाक़ी देश मिलकर उसे ऐसा करने से रोकेंगे।
 
और यहीं से शुरू होती है मुस्लिमो को बदनाम करने उन्हें आतंकी, हत्यारे, सभी के दुश्मन बताने की साज़िश। क्योंकि अगर उन्हें ऐसा साबित कर दिया गया तो फिर कोई इज़राइल के आस पास के मुल्कों पर कब्जे और मासूम मुस्लिमो की जान लेने पर कुछ नहीं कहेगा ना उन्हें रोकेगा। इस तरीके को पहले भी कई बार इस्तेमाल किया जा चुका है।
 
👉 जैसे उदाहरण के तौर पर अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ पर हमले किये जिसमें लाखों मासूम मारे गए पूरा देश तबाह हो गये, उसकी वज़ह यह बताई गई कि यहाँ परमाणु और जैविक हथियार हैं और ओसामा बिन लादेन छुपा है। इस पर पूरी दुनिया ख़ामोश रही किसी ने अमेरिका को नहीं रोका और लाखों मासूमों की हत्या होने दी लेकिन ना वहाँ से ओसामा मिला ना परमाणु हथियार।
 
अब ज़रा सोचिए कि अगर उक्त वज़ह ना बताई गई होती तो क्या दुनिया अमेरिका को यूँ ही अफ़ग़ानिस्तान या इराक़ पर बम बारी कर लाखों लोगों को मारने देती? नही…!
 
यह बात इस से भी साबित होती है कि अमेरिका का अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर हमले का दिखाने का कारण कुछ और था और करने का कारण कुछ और। क्योंकि जब अमेरिका को ओसामा को पकड़ना था तो बड़े ही आराम से उसने उसे पाकिस्तान से पकड़ लिया और उसे पाकिस्तान पर एक बम तक गिराने की ज़रुरत नहीं पड़ी।
 
लेकिन उधर अफगानिस्तान के मामले में तो उसने इसी बहाने से इतने बम बरसाए थे कि पूरा अफ़ग़ानिस्तान ही खंडहर बन गया था। इराक़ मामले में बाद में माफ़ी माँगी जिसका अहसास भी किसी को नहीं हुआ। लेकिन चूंकि उसने दुनिया के सामने यह स्थापित कर दिया था कि ऐसा वह दूसरे कारणों से कर रहा है तो किसी ने उसे इस बारे में नहीं रोका।
 
👉 ऐसे ही अपने विस्तार और मुस्लिम देशों पर आक्रमण को सही ठहराने के लिए इज़राइल मुस्लिमो का ग़लत चित्रण करता है।
 
चूँकि वर्ल्ड मीडिया और सोशल मीडिया यहूदियों के हाथ में है और उन्होंने यह काम बखूबी किया भी है।
 
दुनियाभर में मुस्लिमो को बदनाम करना फ़र्ज़ी इस्लामिक नाम से हमले करवाना, झूठी वीडियो बनाना, मुस्लिम देशों में गृह युद्ध करवाना आदि यह करवा कर इज़राइल कई बार एक्सपोज़ भी हो चुका है जैसे कई वीडियो जिनमे आतंकी हत्या करते दिखाई देते हैं उनका बाद में स्टुडियो में शूट होना साबित होना। इसके अलावा ख़ुद इज़राइल रक्षा बल (Israel defense force) के चीफ गादी ईज़ानकोट (Gadi Eizenkot)* का यह कबूल करना कि उन्होंने सीरिया में विद्रोहियों और आतंकियों को हथियार उपलब्ध कराए थे। जिसके इस्तेमाल से वहाँ युद्ध और हिंसा होती रही।
 
इज़राइल वायु सेना के पायलट योनातन शपीरा (yonatan shapira) ने खुद इज़राइल को आतंकी राष्ट्र बताते हुए वायुसेना से इस्तीफा दिया था और खुले तौर पर कहा था की इज़राइल फिलिस्तीनियों पर बर्बरता और आतंकी हमले कर रहा है और खुले तौर पर war crime में लिप्त है और विश्व के सामने फिलिस्तीनियों का ग़लत  चित्रण कर रहा है जब की वास्तविकता कुछ और है , yonatan की बात का समर्थन करते हुए बाद में और २७ पायलटों ने इस्तीफा दिया था आदि।
 
और इन सबके पीछे कारण यही है कि मुस्लिमो को बदनाम करो उन्हें सबका दुश्मन बताओ ताकि जब हम निर्दोषों की हत्या करे, उनकी जमीनों पर कब्ज़ा करें तो लोग हमें रोके नहीं बल्कि उसे सही समझें।और हम यह सब इस आड़ में करें कि हम तो आतंक का खात्मा कर रहे हैं।
 
▪️हालाँकि यहाँ यह भी समझ लेना चाहिए कि सभी यहूदियों की यह मंशा नहीं है कितनों ने ख़ुद अपने देश की इन हरकतों के खिलाफ आवाज़ उठाई है (जैसे yonatan shapira ) जबकि कई यहूदी नस्लो ने बाद में दूसरे धर्म (प्रमुखत: इस्लाम) कबूल कर लिया और उन्होंने ग्रेटर इज़राइल बनाने और इज़राइल राष्ट्रीयता लेने से भी इंकार कर दिया। उदाहरण के तौर पर भारत के उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले “बनु इस्राएली “
 
लेकिन यहूदी उग्रवादियों का यह विशेष मंसूबा है जिसने सत्ता पर कब्ज़ा जमाया हुआ है। साथ ही दुनियाभर के उग्र संगठनों जिनकी मंशा स्वयं को श्रेष्ठ समझना और सत्ता पर कब्ज़ा जमाना है, उनके साथ मिलकर यह अपनी इस साज़िश को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं जिस की बुनियाद पर वह अपने अलग अलग मकसद हासिल करते हैं ।
 
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