बिल्कुल नहीं। तलाक हो जाने पर बच्चों की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी उनके पिता की है। उनकी हर आर्थिक और दूसरी ज़रूरतों को पूरा करना पूर्ण रूप से उनके बाप के ज़िम्मे है।
इस्लाम में इस तरह की कोई चीज़ नहीं है। यह पूर्ण रूप से निराधार और झूठ है। लोग यह सवाल हलाला के नाम से फैलाये जा रहे झूठ और गलतफहमी में पढ़कर करते हैं। जिसके बारे में लेख “हलाला” पर पहले भी शेयर किया जा चुका है। उस का अध्ययन करें।
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