*सवाल:- एक पोस्ट में बताया जा रहा है कि मुसलमानो के आतंक से दुखी होकर कई देशों ने इस्लाम को बैन कर दिया, और भी अन्य बातो को तोड़ मरोड़कर कर हमारे बहुसंख्यक समुदाय को मुस्लिमो के प्रति डराने का प्रयत्न किया गया है इस बारे में जवाब दें?*

जवाब:-  यह पोस्ट ब्रेन वाशिंग कर नफरत फैलाने वाले  उन लेखों की केटेगरी में आता है जिसमें पढ़ने वाले को सामग्री की मात्रा से ही भ्रमित कर दिया जाता है। जहाँ पर कई इधर उधर की दर्जनों बातों को झूठ के साथ मिश्रित कर लेख अत्यधिक लम्बा किया जाता है कि ताकि जवाब ना दिया जा सके और पढ़ने वाले का मैसेज पढ़ते पढ़ते ही दिमाग काम करने की स्थिति में ना बचे और वह आंख बंद कर इनके प्रोपेगंडे का शिकार हो जाये।

और इस लेख की असल मंशा और षड्यंत्र को समझ ना सके।

ऐसे ही जब आप इस पोस्ट को जांचेंगे तो जानेंगे कि यह पोस्ट फेक और झूठ का जमावड़ा है ।

जैसे अंकोला में इस्लाम पर प्रतिबंध लगाना हो या जापान में इस्लाम का प्रचार कानून अपराध होना हो या फ्रांस में एक दिन में 210 मस्जिदों का गिरा देना। यह सब झूठ के सिवा कुछ भी नहीं है।

जबकि इसके उलट सच्चाई तो यह है कि इनमें से अधिकांश देशों में इस्लाम ही सबसे तेजी से कबूल किया जा रहा है ।

जैसे:-

जापान-  यहाँ इस्लाम 11 सदी से फैलना शुरू हुआ। आज दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है, अभी हाल में ही कई news portal पर खबर भी आई थी, कि जापान में सबसे तेजी से इस्लाम फैल रहा है ।

ब्रिटेन-  यहाँ भी दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है, और यहाँ भी तेजी से बड़ रहा है। ब्रिटन में कई प्रमुख पदों पर मुस्लिम पदस्थ हैं और मुसलिम कम्युनिटी बहुत सम्पन्न स्थिति में है। अतः उक्त पोस्ट में बताया गया तथ्य हास्यपद है।

फ़्रांस-  यहाँ भी दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है, और यहाँ भी तेजी से बड़ रहा है।

अमेरिका और इजराइल  इन देशों में भी इस्लाम तेजी से बड़ रहा है, अमेरिका में 16 सदी में इस्लाम आ चूका था और 9/11 के बाद सबसे तेजी से बढ़ रहा है। जबकि इजराइल में 17 सांसद मुस्लिम है।

चीन-  यहाँ भी इस्लाम 6 सदी में आ चूका था। चीन में 80 मिलियन के लगभग मुस्लिम रहते है। ये सच है, कि वहाँ धार्मिक आज़ादी नहीं है, लेकिन वह सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि सभी धर्मो के ऊपर लागू होती है।

इसके आगे पोस्ट की एक और अतार्किकता और विशेषता यह कि जिन जगहों पर मुस्लिमो पर अत्याचार हो रहा है या वे परेशान है उन जगहों का उल्लेख भी इस तरह से कर दिया गया की उसके पीछे भी मुस्लिम ही जिम्मेदार हो।

इसके आगे हम पोस्ट में देखते है कि झूठ की भरमार है जैसे मनमर्ज़ी के आरोप लगाना और उन्हें फिर खुद सिद्ध भी कर देना जैसे मुस्लिम भारत माता का अपमान करते हैं वगैरह वगैरह। ऐसी ही दर्जनों अनर्गल बातें और फिर यह कहना कि मुस्लिम भारत में असुरक्षित महसूस करते हैं।

इस बारे में अगर हम गौर करें तो पाएंगे की USCIRF जो कि एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग है, के अनुसार भारत में अल्पसंख्यको पर हमले को देखते हुए CPC (Country of Particular Concern) यानी विशेष चिंता वाले 14 देशों में से 4 स्थान पर रखा है। इसी तरह *(world religious intolerance)* का विश्लेषण करने वाली वैश्विक संस्था *Pew research center analysis report* में 2017 की रिपोर्ट में विश्व के 198 देशों में भारत को 4 थे नम्बर पर रखा था। इसकी माने तो विश्व में अल्पसंख्यको पर धर्म के कारण हो रहे अत्याचार में भारत 4 थे नम्बर पर है यानी उस आयोग के अनुसार भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है। इसका कारण माब्लिंचिंग, दंगे, नेताओं के भड़काउ बयान जिसमें किसी समाज कि महिलाओं को बलात्कार कि धमकी, पुरे परिवार को 6 साल के बच्चे सहित जिन्दा जलाना और इन सबके आरोपी का संसद में पहुँचना रहा।

इन सब के बावजूद देश के मुस्लिमों ने तो कभी ऐसा नहीं कहा कि वे भारत में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। लेकिन देश के हर एक नागरिक की क्या यह जिम्मेदारी नहीं बनती की वह इस ओर ध्यान दे कि यह क्या हो रहा है ? और इसके खिलाफ आवाज़ उठाए। वैसे बताने की ज़रूरत नहीं की इन सब के पीछे इस तरह के नफरत फैलानी वाली पोस्टे ही वजह बनती हैं जिनके शिकार हमारे बहुसंख्यक हो जाते हैं ।

जैसा शुरू में कहा गया कि कई इधर उधर की बात जोड़ कर अंत में मैसेज वंदे मातरम करके ख़त्म किया जाता है ।

एक समझदार व्यक्ति को इशारा ही काफी होता है और वह इसी से यह समझ जाता है कि इस प्रोपेगंडे कि असल मंशा बस यह साबित करना है कि मुस्लिम हर हाल में ग़लत है और मुस्लिम विरोध ही राष्ट्र प्रेम है और इसी में उन्हें उलझाए रखने के प्रयास किये जा रहे हैं ।

जो कि अब लोगो को धीरे धीरे समझ आने लगा है।

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