सवाल:- क़ुरआन में जिहाद की आयतों का संदर्भ (Context) क्या है? यह (24 आयतें) किन परिस्थितियों में नाज़िल हुईं?

जवाब:- इस सवाल के जवाब के लिए क़ुरआन जिन हालात में नाज़िल हुआ उसको जानने की ज़रूरत है। जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लममक्का में लोगों को अल्लाह की तरफ़ बुलाने लगे तो मक्का के सारे लोग आपके दुश्मन बन गए। जो कोई भी इस्लाम स्वीकार करता उसको तरह-तरह की तकलीफ दी जाती थी। उन पर इतने भयानक अत्याचार किए गए कि उसको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

🛑 हजरत अबू बकर रजि अल्लाहु अन्हु जब मुसलमान हुए तो आपको काफिरों ने मिलकर इतना मारा कि जब आपके घरवाले उठाकर ले गए तो यह समझ रहे थे कि अब वह शायद ज़िंदा नहीं बचेंगे।

🛑 हजरत बिलाल जो कि गुलाम थे उन्होंने जब इस्लाम स्वीकार किया तो उनके आका उनको मक्का की गरम तपती हुई रेत पर डाल देता और सीने पर बड़ा भारी पत्थर रख देता और उन्हे कहता कि इस्लाम छोड़ दो। उनको कोड़े मारता और अंगारों पर लिटाता। कभी उनको मक्का के गुंडों के हवाले कर दिया जाता जो उनको मक्का की गलियों में घसीटते रहते। ‌

🛑 एक बार हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजि अल्लाहु अन्हु को ज़ोर से क़ुरआन पढ़ने पर इतना मारा कि पूरे बदन में निशान पड़ गए।

🛑 हजरत उस्मान रजि अल्लाहू अन्हु ने जब इस्लाम स्वीकार किया तो उनके चाचा ने उनको एक खंभे से बाँध दिया कि जब तक इस्लाम नहीं छोड़ोगे तुम्हें नहीं खोलेंगे।

🛑 हजरत अम्मार बिन यासिर और उनकी माँ को जलते हुए अंगारों पर डाल दिया जाता, जिससे उनकी कमर की चर्बी पिघल जाती और वह लोग बेहोश हो जाते‌। हजरत अम्मार इस अत्याचार और ज़ुल्म से वफात पा गए। उनकी माँ की शर्मगाह में मक्का के काफ़िर अबू जहल ने बरछी मारी जिससे वह शहीद हो गई। हालांकि उस वक़्त वह काफ़ी बूढ़ी थी। उस ज़ालिम ने आपके बुढ़ापे पर भी तरस नहीं खाया।

🛑 हजरत खब्बाब को दहकते हुए अंगारों पर पटक कर आपके सीने पर पैर रख दिया जाता ताकि हिल ना सके। खून और चर्बी के पिघलने से वह अंगारे बुझ जाते। इसी वज़ह से आप की पीठ पर सफेद दाग हो गए थे। ‌एक बार उनके सिर को इस्लाम छोड़ने के लिए दहकती सलाखों से दागा गया।

🛑 अगर कोई आदमी मक्का में मुसलमान होता तो पूरा मक्का उसकी दुश्मनी पर उतर आता। अगर वह इज़्ज़तदार होता तो उसको गालियाँ देते। अगर वह व्यापारी होता तो उसके व्यापार को तबाह कर दिया जाता और अगर वह कमजोर होता तो उसको भयानक तकलीफें दी जाती, कोड़ों से मारा जाता, जलती हुई रेत पर लिटाया जाता।

🛑 ख़ुद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को तरह-तरह की जिस्मानी और मानसिक तकलीफें दी गई ताकि किसी तरह वह लोगों को अल्लाह की तरफ़ बुलाने और इस्लाम का पैगाम पहुंचाने से रुक जाएँ।
यहाँ तक कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर जानलेवा हमले और क़त्ल की साज़िश हुई, आपको जज़्बाती तकलीफे देते हुए आपकी बेटियों के रिश्ते तोड़ दिए गए और तलाक करवा दिए गए।

🛑 मक्का की एक घाटी में आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का आपके पूरे ख़ानदान समेत बॉयकॉट कर दिया गया। 3 साल तक सभी लोगों ने बड़ी तंगी के साथ जिंदगी गुजारी। कई-कई रात लोग भूखे रहते, बच्चे भूख से तड़पते रहते लेकिन उन तक खाना नहीं पहुँचने दिया जाता था।

यह तो कुछ नमूने हैं, वरना मुसलमानों पर मक्का में इससे भी खतरनाक अत्याचार 13 सालों तक लगातार किए गए। यह सारी बातें सीरत (जीवनी) पर लिखी गई अरबी उर्दू हिंदी और इंग्लिश की किताबों में मौजूद हैं।

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