प्रश्न नंबर 5 - फ्रांस से इतनी ही दिक्कत है तो उसे दारुल हर्ब घोषित कर वहाँ के सारे मुसलमानों को फ्रांस छोड़ने के लिए क्यों नहीं कहते?

जवाब:- दारुल हर्ब की आप ने मनगढ़ंत ही कोई व्याख्या कर रखी है जिसकी बुनियाद पर आप कुछ भी निष्कर्ष निकालते रहते हैं। तो पहले तो यह जान लें कि इस तरह की व्याख्याओं और प्रावधान का ही कोई आधार नहीं है।

दूसरी बात यह भी समझ लें कि इस्लाम कोई ऐसा धर्म नहीं है जो किसी एक मात्र देश या नस्ल का हो। जिन्हें अगर दूसरे देशों में कोई समस्या आ रही हो तो उन्हें लौट कर अपने देश आ जाना चाहिए।

तीसरी बात यह की कुछ ओछी मानसिकता वाले जिस तरह से भारत के हर मुस्लिम को हर दूसरी बात पर पाकिस्तान चले जाओ कहते रहते हैं उन्होंने ही अब अपने इस कथन का विस्तार और वैश्वीकरण कर लिया है। अब कहीं भी मुस्लिम अपने पर हो रहे अत्याचार के विरोध में आवाज़ उठाते हैं तो “यही” लोग कहने लगते हैं कि उस देश को छोड़ के चले जाओ। तो आप यह समझ लें कि ना तो आप इस दुनिया के मालिक हैं और ना ही यह कोई तर्क संगत बात है कि अन्याय का विरोध मत करो अपनी समस्या भी मत बताओ और देश छोड़ के चले जाओ। अतः अपनी सोच थोड़ी खुली रखें और थोड़ी परिपक्वता का परिचय दें।

अंत में यह बात सभी को समझना चाहिए कि भारत देश मैं हिन्दू-मुस्लिमों का साथ सदियों पुराना है। मुस्लिमों का इस देश की प्रगति और हर क्षेत्र में योगदान रहा है फिर चाहे वह रक्षा हो विज्ञान हो चिकित्सा हो कला हो या खेल कूद हो। बेवजह पिछले कुछ वर्षों में अपने ही देश की एक बड़ी आबादी को दुश्मन की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है और बेवजह ही उन्हें शक की नज़र से देखा जा रहा। राजनीतिक मुद्दे से शुरू हुआ यह ज़हर अब बहुत आगे निकल चुका है। इसलिये आप से अनुरोध है कि इसे और हवा देने के प्रयास ना करे जिसके परिणाम देश हित में बिल्कुल भी नहीं होंगे।

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