क्या क़ुरआन हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) के बाद में संग्रहित किया गया?
जवाब:- हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) के दौर में ही क़ुरआन की तरतीब (सुरः का क्रम) और संग्रहण (जमा) पूरा हो चुका था वह दो ज़रियो से हुआ:-
- हिफ़्ज़ के ज़रिए
- लेखनी के ज़रिए
जब भी क़ुरआन नाज़िल होता था उसे हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) अपने सहाबा (साथी) को सिखाते थे। जिसे कई सहाबा हिफ़्ज़ (कंठस्थ) कर अपने सीनों में महफ़ूज़ कर लेते थे और यही हिफ़्ज़ का सिलसिला नस्ल ब नस्ल हर दौर में जारी रहा और आज भी आप को हर मुल्क में हर उम्र के हाफिज़ मिल जाएंगे जिन्हें पूरा क़ुरआन शब्दश: याद है। क़ुरआन की हिफाज़त का यह तरीक़ा इतना विशेष ही कि इस तरह दुनियाँ के किसी दूसरे धर्म ग्रन्थ के बारे में इसका दावा करना तो दूर कभी कोई कल्पना भी नहीं की गई।
दूसरी तरह लेखनी के ज़रिए महफूज़ करने वाले सहाबा, जो आयात हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) सिखाते वे उसे पत्थर, पत्तों, खाल आदि पर लिख लिया करते थे और फिर उसे हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) के सामने दोहरा कर चेक करवाया करते थे। पूरे क़ुरआन को इन तरह लेखनी में (अलग अलग जगह) महफूज़ भी हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) के दौर में कर लिया गया था।
हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) के दुनियाँ से रुखसत के बाद पहले ख़लीफा अबूबक्र रज़ि॰ ने हज़रत ज़ैद बिन साबित रज़ि॰ (जो कि हाफिज़ थे और जिनके बारे में हज़रत मुहम्मद (स॰अ॰व॰) ने लोगों को कहा था कि जिसे क़ुरआन सीखना है वह ज़ैद से सीखें) के प्रतिनिधित्व में इन सभी (क़ुरआन के लेखों) को 1 जगह जमा किया और 1 किताब की शक्ल दी।
जब इस्लाम अरब से बाहर चीन, भारत, ईरान आदि जगह फैला तब तीसरे ख़लीफ़ा हज़रत उस्मान रज़ि॰ के दौर में उस संकलित क़ुरआन कि 7 प्रतिलिपि (Copy) बनाई गई और एक-एक प्रतिलिपि अलग-अलग देशों में सील लगवाकर भिजवाया गया। इस संकलन में क़ुरआन में मात्राएँ (ज़ेर / ज़बर) नहीं थे।
हज्जाज़ बिन यूसुफ जो कि इराक के गवर्नर थे ने जब यह देखा कि गैर अरबी क़ुरआन को पढ़ने में गलती कर रहे है, तो उसमें उन्होंने जानकारों (हाफिज़, विशेषज्ञों) से ज़ेर-ज़बर लगवाये, ताकि पढ़ने वालों को आसानी हो सके और बिलकुल उसी तरह से पढ़ा जाए जैसा मूल अरबी भाषा में पढ़ा जाता रहा है।
अतः जिस तरतीब और शक्ल में मोहम्मद (स॰अ॰व॰) क़ुरआन अपनी उम्मत को देकर गए बिल्कुल वही आज उम्मत के पास मौजूद है और ता क़यामत तक महफूज़ रहेगा जैसा कि अल्लाह का वादा है:-
वास्तव में, हमने ही ये शिक्षा (क़ुरआन) उतारी है और हम ही इसके रक्षक हैं।
(क़ुरआन 15:9)
भारत में आज भी UP के रामपुर में रज़ा लायब्रेरी में हज़रत अलि रज़िअल्लाहू अन्हु कि हस्त लिखित क़ुरआन मौजूद है।