एक विडियो में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ हूरों का ज़िक्र कर इसकी तुलना पोर्नोग्राफी से कर रहे है। इसका जवाब दें
जवाब :- यह बात तो सभी जानते हैं कि स्वर्ग, अप्सरा आदि बातों का उल्लेख लगभग सभी ग्रंथो में है। इन उल्लेखों के पीछे कोई न कोई संदर्भ या उद्देश्य होता है।
लेकिन जैसे कहा जाता है :
Just as beauty is in the eye of beholder.
(खूबसूरती देखने वाले कि आंखों में होती है)
Similarly obscenity is in the thought of pervert.
(वैसी ही अश्लीलता, अश्लील व्यक्ति की सोच में होती है)
अतः कुछ अश्लील मानसिकता के लोग होते हैं जिन्हें हर चीज़ में अश्लीलता ही दिखती है और ऐसे व्यक्ति की पहचान इसी से होती है कि उसकी दृष्टि सम्पूर्ण विषय को छोड़ सिर्फ़ उसी बात पर पड़ती है जिसका प्रयोग वह अपनी विकृत मानसिकता और दूषित विचारों का पोषण करने में कर सके। वह ऐसी ही सामग्री ढूँढता है फिर उनमें भी कुछ और जोड़-तोड़, काट छांट आदि कर कुछ सामग्री तैयार करता है और उसे प्रसार प्रचार कर लोगों में ज़हर/घृणा फैलाने का काम करने लगता है। लेकिन इस पूरे क्रम में वास्तव में वह सिर्फ़ अपने ख़ुद के अश्लील व्यक्तित्व, कुंठित सोच और भड़काऊ एजेंडा का प्रदर्शन कर रहा होता है। जो यहाँ यह व्यक्ति कर रहा है।
अतः हम इसके जवाब में इसकी ही तरह यह वर्णन तो नहीं करेंगे के किस धर्म में क्या लिखा है और ऐसा उल्लेख कहाँ-कहाँ है। क्योंकि हम शुरू में कही बात समझते हैं।
बहरहाल यहाँ इस्लाम में जन्नत और हूरों के विषय पर ज़रूर प्रकाश डालेंगे की इस्लाम में कितने पाक़ीज़ा (पवित्र) और तार्किक (लॉजिकल) तरीके से उल्लेख किया गया है क्योंकि इस पर काफ़ी दुर्भावना फैलाई जा रही है।
सर्वप्रथम तो यह कि अल्लाह ने दुनिया में नेक ज़िंदगी गुज़ारने वाले मुसलमानों से हूरों का नहीं बल्कि जन्नत का वादा किया है।
*”सदा रहने के स्वर्ग जिसमें प्रवेश करेंगे, जिनमें नहरें बहती होंगी, उनके लिए उसमें जो चाहेंगे (मिलेगा)। इसी प्रकार, अल्लाह आज्ञाकारियों को प्रति फल (बदला) देता है।”*
(क़ुरआन 16:31)*
जन्नत में हर नेअमत मौजूद है जैसे रहने की, खाने की, पहनने की और भी दूसरी नेअमतें, वैसे ही हूरें सिर्फ़ जन्नत की नेअमतों में से एक हिस्सा है और जन्नत हमारे इस जीवन जैसी सिर्फ़ 50-60 साल के लिये नहीं हैं बल्कि हमेशा (कभी ना ख़त्म होने) हमेशा रहने वाली है इसीलिए वहाँ की हर नेअमत बहुतायत में है।
और क्यों ना हो? स्वाभाविक-सी बात है यह दुनिया तो सिर्फ़ एक परीक्षा का स्थान है और यहाँ जब बंदा अपने रब के आदेश पर किसी बुराई को करने से रुकता है तो अल्लाह के पास इनाम के तौर पर उस से कई गुना बेहतर बदला है ।
उदाहरण के तौर पर जैसे एक आदमी रिश्वत, चोरी, धोखाधड़ी से अगर रुकता है और धन हानि उठाता है इस वज़ह से उसे छोटे मकान में ज़िंदगी गुज़ारना पड़ती है, तो उसका रब उसे बेहतरीन बदला जन्नत में देगा ऐसा महल और रहने का ठिकाना देकर जैसा इस दुनिया में सबसे अमीर आदमी भी नहीं बनवा सकता और अगर ऐसा महान बदला ना हो तो फिर इंसान दुनिया ही में उन चीजों को पाने के लिए किसी काम से क्यों रुकेगा ?
ऐसा ही बेहतरीन बदला हर चीज़ के बारे में है!
वैसे ही जीवन में अल्लाह का आदेश मान व्यक्ति अपनी नज़रों की हिफाज़त करता हैं, किसी गैर औरत से दूर रहता है, बेहयाई से बचता है व्यभिचार आदि से रुकता है अतः उसके बदले के लिये महिलाओं से बेहतरीन हूरों का ज़िक्र है।
जन्नत की असली नेअमतों के बारे में कोई नहीं जानता -जन्नत में इन चीज़ों का उल्लेख सिर्फ़ परिचय और अंदाज़ा करा देने के लिए है:-
*“हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम का इरशाद बयान करते हैं कि अल्लाह तआ‘ला ने फ़रमाया: मैने अपने नेक बंदों के लिये वे नेअमतें तय्यार कर रखी हैं जिन को ना किसी आँख ने देखा है, ना किसी कान ने सुना है ओर ना किसी इंसान के दिल में उन का खयाल गुज़रा है, क़ुरआन में इस का मिसदाक यह आयत है, किसी इन्सान को नहीं मालूम के उनके नेक कामों के बदले में जो उनकी आंखों की ठंडक छुपा कर रखी गई है।”*
बुख़ारी (3072) ; मुस्लिम (2824)
मतलब जन्नत के बारे में हमारा आभास करना या उसकी नेअमतों को समझना अभी हमारे लिए मुमकिन ही नहीं अच्छे बाग़, महल, खाने पीने की चीज़ें, हूरें इनका ज़िक्र सिर्फ़ इसलिए किया क्योंकि इंसान सादृश्य (Resemblance) समझना चाहता है ये कुछ चीज़ें हैं जिनकी चाह में इंसान इस धरती पर प्रयत्न रत रहता है इसलिए उसकी समझ के लिए यह बातें बता दी गई ताकि वह समझ ले की जो मेरे रब के पास बदला है वह इन चीजों से ही कही बेहतर है। तो और दूसरी चीज़ें जो जन्नत में मेरे लिए हैं वह कितनी बेहतर होंगी जिनका वह अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता।
और अंत में
हदीस में आता है कि एक सहाबी के जन्नत के सवाल पर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम ने फरमाया:-
“अगर अल्लाह ने तुझे जन्नत में पहुँचा दिया तो जन्नत में तुझे वह मिलेगा जो तेरा दिल चाहेगा ओर तेरी आंखे पसंद करेंगी।”*
(तिरमिज़ी 2543, सहिहुत तरगीब 3/522)
अतः स्पष्ट है कि अल्लाह ने इंसान को बनाया और वह जानता है कि इंसान की अभिलाषाएँ क्या है। साथ ही हर इंसान अलग होता है और उसकी इच्छाएँ भी। अल्लाह सब बेहतर जनता है और उसके पास सब के लिए बेहतरीन बदला है और जैसा हदीस में ज़िक्र है ही कि जन्नत में वह हर चीज़ होगी जिसकी जन्नत प्राप्त करने वाला इच्छा करेगा। इन सब के बाद भी यदि किसी को ऐसा लगता है कि जन्नत में हूरों का विवरण नहीं होना चाहिए या एक ही बीवी होना चाहिए या उसे जन्नत में अकेला ही होना चाहिए तो इसमें कोई समस्या की बात नहीं अगर वह अपनी बात में सच्चा है और इसी की आशा रखता है तो उसे जन्नत में वही प्राप्त होगा !
यदि वह अच्छे कर्म और ईश्वर आदेश पालन कर जन्नत प्राप्त कर सके तो।।
अन्यथा बेवजह हूरों की और दूसरों की चिंता करना छोड़ दे और समझ से काम ले।