सुरह लुक़मान में है कि अल्लाह जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है। जबकि आज डॉक्टर भी यह बात बता देते हैं अतः इस आयत से क्या अभिप्राय है?

जवाब:-निःसंदेह, अल्लाह ही के पास है प्रलय का ज्ञान, वही उतारता है वर्षा और जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है और नहीं जानता कोई प्राणी कि कल वह क्या कमायेगा और नहीं जानता कोई प्राणी कि किस धरती में मरेगा। वास्तव में, अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला, सबसे सूचित है।

(सुरः लुक़मान आयत 34)

 

बेशक अल्लाह ही सभी ज़ाहिर और छुपी बातों को जानने वाला है। तमाम इल्म उसी का है। उसके इल्म से किसी के इल्म की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि जिसको जितना भी ज्ञान है वह अल्लाह का अता किया हुआ ही है और अल्लाह के मुकाबले में कुछ भी नहीं है।

 

मिसाल के तौर पर कुछ सदियों पहले तक इंसान को तो इस दुनियाँ के सुदूर इलाको के बारे में ही नहीं पता था, फिर अल्लाह के दिये हुए इल्म और सोचने समझने और नई चीज़ ईजाद करने की शक्ति का इस्तेमाल किया।

 

जिस के बारे में ख़ुद अल्लाह ने क़ुरआन में इंसानो को प्रेरित किया है

 

..वास्तव में, इसमें बहुत-सी निशानियाँ हैं, उनके लिए, जो सोच-विचार करें।

(क़ुरआन 45:13)

 

और इसी सोच विचार करने की शक्ति और अल्लाह के दिये इल्म का इस्तेमाल कर हमने दुनियाँ के बारे में जाना और उस से आगे बढ़ते हुए आज के दौर में हम इस सौर मंडल के कुछ ग्रहों के बारे में थोड़ा कुछ मालूमात कर पाए हैं। लेकिन यदि हम अपनी इस मालूमात की तुलना सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और उसमें मौजूद अनगिनत ग्रह आदि के ज्ञान से करें तो हमारा आज का ज्ञान भी कुछ नहीं है।

 

जबकि दूसरी तरफ़ अल्लाह ने तो इस सम्पूर्ण कायनात को बनाया इस ब्रह्माण्ड के परे और क्या-क्या है कितनी सजीव, निर्जीव रचनाएँ हैं उन सब को बनाया और वह इसके कण-कण का ज्ञान रखता है।

 

ऐसा नहीं है कि इंसान कुछ जानता ही नहीं है। लेकिन इंसान के जानने और अल्लाह का जानने में बहुत फ़र्क़ है। जहाँ अल्लाह का किसी के भी बारे में जानना (पता होना) कुल का कुल (पूरा का पूरा है) है, असीम है, सम्पूर्ण है। वहीं इंसान का जानना आंशिक है, अनिश्चित है।

 

इस तरह उपर्युक्त आयात में फ़रमाया “अल्लाह जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है”

 

अर्थात अल्लाह संपूर्ण बातें जानता है जो कुछ गर्भाशय में है उसके बारे में उसे तमाम मालूमात है फिर चाहे वह होने वाले शिशु का लिंग हो, उसका रंग रूप हो, जीवित अवस्था में जन्म लेगा या गर्भपात होगा, किस दिन, किस क्षण पैदा होगा उसके कर्म कैसे होंगे, उसकी आयु कितनी होगी, उसके गुण क्या होंगे, कुल का नाश करेगा या उद्धार करेगा, कहाँ रहेगा कहाँ मृत्यु को प्राप्त होगा यहाँ तक जीवन से लेकर जीवन उपरांत तक सभी बातों का कुल का कुल ज्ञान अल्लाह को है और वह यह सब कुछ जानता है।

 

अब यहाँ हम अगर इसकी तुलना इंसानों के जानने और उनकी मालूमात से करें तो आज के दौर में भी डॉक्टर ज़्यादा से ज़्यादा भ्रूण का लिंग पता कर सकते हैं या थोड़ा और कुछ वह भी जो गर्भावस्था का एक अंतराल गुज़र जाने के बाद, उसमें भी उन्हें कई चीज़ों का सहारा लेना पड़ता है, इसके बाद भी कई बार गलती का इम्कान (संभावना) होता है। इस विषय में जानने के लिए अनगिनत बातें और भी हैं जैसे कुछ ऊपर बताई गई आयु, गुण, कर्म, जीवन, मरण इत्यादि।

 

दरअसल ऊपर बताई मिसाल की तरह पहले तो इंसान को गर्भ के बारे में कुछ इल्म ही नहीं था, अब जाकर अल्लाह के दिये इल्म का इस्तेमाल कर वह थोड़ा कुछ जानने में समर्थ हुआ है लेकिन उसका इस बारे में भी जानना आज भी अल्लाह के जानने के मुकाबले में शून्य ही है और हमेशा शून्य रहेगा।

 

वास्तव में अल्लाह ही है जो यह सब जानता है और वे बातें भी जो गर्भाशय में है और हमारे इल्म से बाहर हैं या जिस तरफ़ अभी हमारा ध्यान ही नहीं हो। उसके अलावा कोई और यह सब जानने की कल्पना करना तो दूर इसमें कितने विषय और बातें हैं जानने के लिए, इस बात की गणना भी नहीं कर सकता।

 

और उसी (अल्लाह) के पास ग़ैब (परोक्ष) की कुंजियाँ हैं। उन्हें केवल वही जानता है तथा जो कुछ थल और जल में है, वह सबका ज्ञान रखता है और कोई पत्ता नहीं गिरता परन्तु उसे वह जानता है और न कोई अन्न, जो धरती के अंधेरों में हो और न कोई आर्द्र (भीगा) और न कोई शुष्क (सूखा) है, परन्तु वह एक खुली पुस्तक में है।

(क़ुरआन 6:59)

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