सवाल:- सूरह 18 आयात 86 का हवाला देकर यह सवाल किया जाता है कि क़ुरआन कहता है कि सूर्य पानी में डूबता है।*
जवाब:- अल्लाह तआला क़ुरआन में फरमाता है
यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली-कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जुल करनैन (तुमको एख्तियार है) ख्वाह इनके कुफ्र की वज़ह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एख्तियार करो।
(क़ुरआन 18:86)
अक्सर इस आयत को या तो आउट ऑफ कॉन्टेक्स्ट पेश किया जाता है या इसके कुछ हिस्से को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है, जबकि इस सूरह को पूरा पढ़ लें या इस आयत को ही पूरा समझ लें तो कोई सवाल ही नहीं रहेगा।
जब पैगंबर हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.) से लोगों ने जुल करनैन (जो कि गुज़रे ज़माने के एक शासक थे) के बारे में सवाल किया तो अल्लाह का जो संदेश आया उसी का वर्णन क़ुरआन की इन आयतो में है।
क़ुरआन ने जुल करनैन का किस्सा इस ढंग से पेश किया कि उस में से लोग उपदेश ले सकें। जुल करनैन एक महान शासक की हैसियत से अपने लोगों के साथ जो चाहे कर सकता था। लेकिन वह एक न्यायी शासक था। उसने किसी पर अत्याचार नहीं किया। उसने आम घोषणा की कि हम केवल उसके साथ कठोरता करेंगे जो बुराई करता हुआ पाया जाए। जो व्यक्ति शांति से रहेंगे उन पर कोई अत्याचार नहीं होगा।
क़ुरआन ने इससे यह शिक्षा दी कि एक शासक कैसा होना चाहिए और उसके न्याय के लिए जुल करनैन को सदा के लिए क़ुरआन में अमर कर दिया।
इसके अलावा क़ुरआन में सूरज और कीचड़ का ज़िक्र इसलिए करा है ताकि आने वाले इंसान उस जगह को पहचान ले कि किस जगह के बारे में बताया गया है और इसमें भविष्य और गुज़रे ज़माने कि कुछ निशानियां भी बताई गई है जो New World Order/ End of Time पर नज़र रखने वाले ही समझ सकते है।
सूरह कहफ की आयात 85, 90 और 93 में जुल करनैन की पश्चिम, पूरब और उत्तर के अभियानों का वर्णन किया। इसी संदर्भ में आयत 86 उसके पश्चिमी अभियान की अंतिम सीमा पर पहुँचने का वर्णन कलात्मक तरीके से करते हुए कहता है, “यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली-कीचड़ के चश्में में डूब रहा है (क़ुरआन 18:86)”
सबसे पहले तो यह वर्णन/ ज़िक्र जुल करनैन की दृष्टि से है कि उसे ऐसा दिखायी दिया कि सूरज मटमैले पानी में डूब रहा है ना कि यह कहा गया है कि सूरज पानी में डूबता है।
क़ुरआन के अरबी में यहाँ शब्द ‘वजद’ का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ क़ुरआन के शब्दकोश ‘मुफ़्रदात अल्क़ुरआन’ (रचयिता: इमाम रागिब इस्फ़हानी) में इस प्रकार है, अर्थात पांच इंद्रियों में किसी एक से किसी चीज़ का अनुभव करना।
तो बात स्पष्ट है कि इस आयत में जुल करनैन की दृष्टि से बात व्यक्त की जा रही है कि वह जब अपने अभियान की पश्चिमी सीमा को पहुँचा और वह सूर्यास्त का समय था तो उस सूर्य का काले पानी में जाते हुए दर्शन किया। यह एक आम वर्णन जो बोलचाल में इसी तरह प्रयुक्त होता है और जिस काले पानी की बात हो रही है उसे हम काला सागर (Black Sea) के नाम से जानते हैं। यहाँ पर कोई विज्ञान विरुद्ध बात नहीं है। मुस्लिम विद्वानों ने कभी इस आयत का अर्थ यह नहीं लिया है कि सूर्य वास्तव में किसी काले पानी में डूबता है।
हम रोज़ अपनी आँखों से समुद्र के किनारों पर यह देखते हैं कि मानो सूर्य समुद्र में जा रहा है या ऊपर आ रहा है। तभी तो हमारी भाषा में सूर्योदय और सूर्यास्त के शब्द बोले जाते हैं। जबकि हम सब अच्छी तरह जानते हैं कि सूर्य न अस्त होता है और न उदय।
तभी तो आज के इस वैज्ञानिक युग में भी यही शब्दावली सर्वप्रचलित और सर्वमान्य है। आज भी स्कूलों में दिशा के बारे यही पढ़ाया जाता है कि Sun rises in the ईast and Sunsets in the West.
तो इसका मतलब तो यह कदापि नहीं की झूठ पढ़ाया और बोला जा रहा है बल्कि यह तो बोलचाल का कलात्मक वर्णन है और इसी तरह प्रयोग किया जाता है। फिर चाहे वह अखबारों, कैलेंडरों और जन्तरियो में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय हो या फिर सूर्य अस्त की दिशा में यात्रा करने का दिशा वर्णन, या फिर जगहों का नामकरण जैसे “जापान” जिसका अर्थ होता है सूर्योदय की धरती या “अरुणाचल” यानी के उगते सूर्य का पर्वत। इसी तरह से यह बातें बोली और समझी जाती हैं।
जो फिर भी इसे नहीं समझ पा रहा वह निश्चित ही भाषा की समझ और वास्तविकता का ज्ञान नहीं रखता।
इसके अलावा भी क़ुरआन की आयतों में सूर्य और चंद्रमा की चाल, दिन और रात के होने के चक्र के बारे में विस्मयकारी विवरण हैं जिसे जान और समझ कर आज बड़े-बड़े वैज्ञानिक अभिभूत और आश्चर्यचकित होते हैं और क़ुरआन की सत्यता को प्रमाणित करते हैं।
वही दूसरी तरफ़ कुछ ना समझ सिर्फ़ अपनी ईर्ष्या के कारण निरर्थक बातों के आधार पर आक्षेप लगाने का प्रयास करते रहते हैं।