सवाल:- सन् 1940- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं...। हम इस मुल्क से कोई प्यार मोहब्बत नहीं करते हैं....। मुस्लिमो के बारे में नफ़रत फैलाने वाली इस पोस्ट में लिखी बातों का जवाब दें?

जवाब:-  इस पोस्ट में लगाए गए सभी आरोपों का पहले ही विस्तार में जवाब दिया जा चुका है। चूंकि झूठ की बुनियाद पर मुस्लिमों के प्रति नफ़रत फैलाने वालों के पास कुछ आधार होता नहीं है इसी वज़ह से वे बार-बार कुछ एक प्रोपेगंडे को ही घुमा फिराकर हर बार इस्तेमाल करते रहते हैं। फिर भी इस पोस्ट के जवाब के रूप में हम एक बार फिर काफ़ी संक्षिप्त में इनके जवाब दोहरा रहे हैं।

  • आरोप 1 ▶️  सन् 1940- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन इस मुल्क में रहने वाले लोगों से नफ़रत करते है इसलिए हमें एक अलग मुल्क चाहिए!!

जवाब:-  सोचने वाली बात है कि इनकी कहानी हर बार 1940 से ही क्यों शुरू होती है? या उसके पीछे जाना हो तो सीधे मुगल काल पहुँच जाते हैं। बीच के 200 वर्षो की बात क्यों नहीं करते? खैर करेंगे भी कैसे, जिन देशद्रोही लोगों ने 200 वर्षों तक अंग्रेज़ों का एजेंट बनकर काम किया वे ही आज देशप्रेम का ज्ञान बाँट रहे हैं। ज़रा ध्यान से देखें तो ख़ुद ही जान लेंगे की अंग्रेज़ों के एजेंट अपने आकाओं से सीखी तोड़ो और राज करो (Divide & rule) पॉलिसी को ही आगे बढ़ा रहे हैं और उसी के सहारे जी रहे हैं।

1940 तो बहुत बाद में आया इतिहास का अल्प ज्ञान रखने वाला भी जानता है कि मुस्लिम लीग द्वारा दो देश की बात उठाए जाने से बहुत पहले अट्ठारवीं सदी में ही हिन्दू कट्टरवादियों ने ही इस सिद्धांत की बुनियाद डाल दी थी और उनके निरन्तर दिए जा रहे उकसाऊ भाषण और फैलाई जा रही नफ़रत ने दोनों समाजों के बीच असुरक्षा, नफ़रत और डर का माहौल बना दिया था जो बाद में देश के विभाजन का कारण बना।

विस्तार में जानने के लिए हमारा पिछला पोस्ट पढ़े।👇 https://islamconnect.in/2021/08/18/3950/

 

  • आरोप 2 ▶️ सन् 1950- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन यहाँ के संविधान से नहीं। हमें चार-चार शादियाँ और उन सभी को तलाक देने के अधिकार चाहिए!!

जवाब:-  यहाँ मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रति ग़लतफ़हमी फैलाई जा रही है। देश में सिर्फ़ मुस्लिमों के लिए ही पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं है। सिख हथियार रखते है, आदिवासी धनुष और शराब रखते है, जैन / नागा साधू बिना वस्त्र के रहते है। कुछ के यहाँ जीवित समाधि लेने की प्रथा है। ये सब अपने धर्म के पर्सनल लॉ (Personal law) के कारण ऐसा कर सकते है। जबकि दूसरे धर्म के लोगों के लिए इस पर सजा का प्रावधान है। इसी तरह शादी, जन्म-मृत्यु पर जो भी रीति रिवाज़ हैं वह संविधान द्वारा दिए गए पर्सनल लॉ के कारण ही है। लेकिन यह सब छुपा कर सिर्फ़ चयनात्मक दृष्टिकोण (Selective approach) के द्वारा मुस्लिमों का चित्रण कर अपना प्रोपेगेंडा करने के लिए किया जा रहा है।

  • आरोप 3 – ▶️ सन् 1980-हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन कश्मीर सिर्फ़ हम मुसलमानों का है इसलिए हम सभी कश्मीरी पंडितों को घाटी से भगा रहे हैं और कश्मीर में केवल शरीयत का क़ानून चलेगा!!

जवाब:-  कश्मीर का उल्लेख कर बार-बार मुस्लिमों पर झूठे आरोप लगाये जाते रहे हैं और इसका इस्तेमाल हमेशा लोगों को मुस्लिमों के प्रति भड़काने में किया जाता है। जबकि बलराज पूरी अपनी किताब में लिखते है कि कश्मीर से पंडितो के पलायन के ज़िम्मेदार तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन है, जिसे तत्कालीन भाजपा सरकार ने कश्मीर की सरकार को बर्खास्त कर सारी शक्ति दे दी थी। या यूँ कहें कि पंडितो को एक साज़िश के तहत राज्यपाल जगमोहन ने पलायन के लिए मजबूर करा तो भी ग़लत नहीं होगा। इस बात को समझने के लिए कि तत्कालीन सरकार ने राज्यपाल जगमोहन के द्वारा पंडितो को पलायन क्यों करवाया और पलायन के लिए कौनसी परिस्थितियाँ ज़िम्मेदार थी इसके लिए आप ख़ुद अध्ययन कर लें👇

कश्मीरी पंडित पी एल डी परिमू “कश्मीर एंड शेर-ए-कश्मीर : अ रिवोल्यूशन डीरेल्ड”, page 244,
लेंग्वेजेज़ ऑफ़ बिलॉन्गिंग : इस्लाम, रीजनल आइडेंटीटी, एंड मेकिंग ऑफ़ कश्मीर”, page 318,

मृदु राय “हिन्दू रूलर्स एंड मुस्लिम सब्जेक्ट्स”,
सुमित्रा बोस “कश्मीर : रूट्स ऑफ़ कनफ्लिक्ट, पाथ टू पीस” page 120,

कश्मीर: द डाइंग ऑफ़ द लाईट, वजाहत हबीबुल्लाह कश्मीरी page – 79,
सईद नकवी “बीइंग द अदर” के page – 173-193,

सीमा क़ाज़ी “बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन”,
बलराज पुरी, कश्मीर : इंसरजेंसी एंड आफ़्टर, page -68,

शहनाज़ बशीर का उपन्यास “द हाफ़ मदर” किताबे पढ़नी होगी।

वैसे इस सन्दर्भ में यह जानना बहुत ज़रूरी है कि कश्मीर का झूठा राग अलापने वाले क्यों कभी

1964 कोलकाता दंगा
1983 नेल्ली नरसंहार
1969,1981,2002 गुजरात दंगे
1987 हाशिमपुरा नरसंहार
1989 भागलपुर दंगा
1992 बॉम्बे (मुंबई) दंगे
2012 असम नरसंहार
2013 मुजफ्फर नगर हिंसा
पर बात क्यों नहीं करते??

जम्मू मुसलमानों के साथ भी यही जुल्म हुआ था मगर इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया।👇 https://www.hindustantimes.com/columns/we-cannot-be-selective-about-the-past-in-j-k/story-ELfaDpC6UoAfMbBNQTgIsO_amp.html?__twitter_impression=true&fbclid=IwAR2VHbAJL1Bh7cbPCqUyQN-5JsP-07ffPE7UOwbi3JlaVRYh8LLBk_5dNIQ

इन सब के जिम्मेदार सिर्फ पाखंडी नेता है ना कि आम जनता!

देश में सिर्फ़ मुस्लिमों को टारगेट करते हुए किये गए दंगे और नरसंहार की तादाद लाखों में है। कई जगहों से मुस्लिमों की पूरी की पूरी आबादी को निष्कासित कर दिया गया सिर्फ़ 1954 से 1982 के बीच ही ऐसे 6993 दंगो का आंकड़ा मौजूद है।

लेकिन मुल्क से प्यार करने वाले, इन वारदातों को दुखद मानते हैं और बेवज़ह इनका उल्लेख कर लोगों को भड़काने का प्रयत्न नहीं करते।

जब कि अंग्रेज़ों के एजेंटों का यह सर्वोप्रिय (Favorite) कार्य है और कश्मीर का झूठा उल्लेख कर हर समय देशवासियों को लड़ा कर तोड़ने का प्रयास करते रहते हैं।

  • आरोप 4 ▶️  सन् 1990- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं पर इस मुल्क से भी ज़्यादा बाबर को प्यार करते हैं। हम ये जानना नहीं चाहते की राममंदिर क्यों तोड़ा गया लेकिन हमें अपनी बाबरी मस्जिद वापस चाहिए!!

जवाब:-  सुप्रीम कोर्ट में सदियों से बोला जा रहा प्रोपेगेंडा झूठ साबित हुआ। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं की मंदिर गिरा कर मस्जिद बनाई गई है। उसके बाद भी फ़ैसला राम मंदिर के पक्ष में आया। इतना संवेदनशील मामला होने पर भी देश भर के मुस्लिमों ने उसे आत्मसात किया और आज वहाँ मंदिर बन रहा है।

इस बात पर मुस्लिमों की सराहना करने और सद्भावना बनाने की बजाय एजेंट लोग *तोड़ो और राज करो* को आगे बढ़ाते हुए नई लिस्ट निकाल कर अगली कई सदियों तक देश को (हिन्दू-मुस्लिमों) मामलों में उलझाए रखना चाहते हैं।

  • आरोप 5 ▶️ सन् 2002- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन हम कारसेवकों को ट्रेन में जिन्दा जलाएंगे और तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि हमारे समर्थन में भ## मीडिया है!!

जवाब:-  मीडिया आज किसके समर्थन में है इस बात को आज कौन नहीं जानता? यह तो ख़ुद चोर मचाए शोर वाली बात हो गई ।

ठीक कश्मीर की तरह गोधरा काण्ड को हर दूसरे दिन याद दिलाने वाले गुजरात दंगों का कभी ज़िक्र नहीं करते। जबकि कई विश्लेषकों ने यह बार-बार कहा है कि ख़ुद गोधरा कांड, गुजरात में दंगे फैलाने के लिए सोची समझी साज़िश थी। जब आप पवित्र हृदय से इन दावों का अध्ययन करेंगे तो आपके क़दमो तले ज़मीन खिसक जायेगी, क्योंकि उसमें कुछ सवाल है, जिसका जवाब आज तक नहीं दिया जा सका।

1) ट्रेन पर जब बाहर से पैट्रोल फेंका गया तो ट्रेन बाहर से क्यों नहीं जली..? जलती ट्रेन का जब वीडियो या फोटो देखते है, तो उससे पता चलता है कि आग अंदर से बाहर कि तरफ़ आ रही थी।

2) यह बात सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज यू.सी. बनर्जी की संसदीय समिति ने भी मानी कि आग अंदर से लगाई गई थी।

3) टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के अनुसार ज़मीन से खिड़की कि ऊंचाई 7-फिट थी। तब सम्भव ही नहीं है कि इस पैमाने पर आग लगे कि ट्रेन पूरी जल कर ख़ाक हो जाये।

4) 19 साल बाद मुख्य आरोपी को पकड़ने का दावा किया गया है, जो कि एक मज़दूर है और सम्भव है, सबूतो के अभाव के नाम पर 10-15 साल बाद वह बाइज्ज़त बरी भी हो जाए जैसे पहले भी आतंकवाद के आरोप में बेगुनाहों को पकड़ा गया और बाद में रिहा कर दिया गया है।

  • आरोप 6 – ▶️ सन् 2010- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन हम गाजा पट्टी में इजराइल के हमलों का विरोध भारत में अमर जवान ज्योति को तोड़ कर करेंगे!!

जवाब:-  पूर्ण झूठ ! 2010 में गाजा पट्टी के हमले के विरोध में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। लेकिन फिर भी अगर किसी उपद्रवी के कुछ ग़लत करने से अगर पूरा समाज दोषी हो जाता है तो फिर सैकड़ो हिन्दू, पाकिस्तान के लिए जासूसी और देशद्रोह के आरोप में पकड़े गए हैं अतः ऐसे तो पूरे देश के बहुसंख्यक समाज को देशद्रोही घोषित हो जाना चाहिए।

  • आरोप 7 – ▶️ सन् 2013- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन हम वन्दे मातरम् नहीं गायेंगे भले ही ये हमारा राष्ट्रीय गीत क्यों ना हो!!

जवाब:-  जिन लोगों को वन्दे मातरम् का अर्थ तक नहीं पता वे लोग इस बुनियाद पर देशप्रेम का सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं। इनसे ज़रा पूछे कि क्यों ये मुस्लिमों से राष्ट्रगान की बात नहीं करते? क्यों ये भारत माता की जय या भारत ज़िंदाबाद कहने को नहीं कहते? इनकी सुई मुस्लिमों से सिर्फ़ वन्दे मातरम् कहलवाने पर ही क्यों टिकी रहती है? जिस दिन आप यह जान लेंगे आप ख़ुद इन एजेंटो के डिवाइड एंड रूल के षड्यंत्र से वाकिफ हो जाएंगे।

😂खुद अंध भक्तों का यह हाल है, कि उन्हें वंदे मातरम नहीं आता।👇                                           https://m.facebook.com/groups/341050273049912?view=permalink&id=592510211237249

  • आरोप 8:- ▶️ सन् 2014- हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन चूँकि हम भारत के कई राज्यों जैसे असम, बंगाल, केरला में बहुसंख्यक हो चुके हैं इसलिए यहाँ दुर्गा पूजा के पंडाल नहीं लगेंगे!!

जवाब:-  पूर्ण झूठ एवं मनगढ़ंत।

और इतना झूठ और प्रोपेगेंडा कर लेने के बाद अब एजेंटों का अगला क़दम होता है कि झूठ की बुनियाद पर भविष्य के बारे में डराना। आइए वह भी देख लेते हैं।

  • आरोप 9 ▶️ सन् 2030-हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन चूँकि अब हम पूर्ण रूप से कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम केरल में बहुसंख्यक हो चुके हैं इसलिए हम अब इन राज्यों में शरीयत कानून चाहते है अगर वह हमें नहीं मिला तो वैसे ही कत्लेआम शुरू होंगे जैसे 1947 में शुरू हुए थे!!

▶️ सन् 2050 – हम इस मुल्क से प्यार करते हैं लेकिन अब हम इस मुल्क में 40% से भी ज़्यादा हो चुके हैं इसलिए इस मुल्क में मूर्ति पूजा बंद होनी चाहिए क्योंकि इससे हमारी भावनाएँ आहत होती है!!

▶️ सन् 2060 – और अब चूँकि मुसलमान इस मुल्क में 50% हो चुके हैं अब वह सत्य सामने आएगा जिससे हम हिन्दू इनकार करते रहते है।

जवाब:-  झूठ की बुनियाद पर डराने का यह प्रयास एकदम हास्यास्पद है। आज़ादी के बाद से ही एजेंटों का सबसे पसंदीदा प्रोपेगेंडा यह डर बताना रहा है कि मुस्लिम इस देश में बहुसंख्यक हो जाएंगे साथ ही कमाल की बात यह है कि इसके लिए वे जो तारीख बताते हैं वे हर बार बढ़ जाती है। 1950 में इनके अनुसार 90 के दशक में मुस्लिम 50% होने वाले थे फिर 90 के दशक की तारीख बढ़ाकर इन्होने 2000 कर दी फिर यह बढ़ कर 2020 और फिर 2030 हुई अब 2050 नई तारीख आई है।

जबकि यह प्रोपेगेंडा कई बार एक्सपोज़ हो चुका है कि यह दावे कितने झूठे और खोखले हैं और यह होना सम्भव नहीं उदाहरण के तौर पर एबीपी न्यूज़ की ख़बर की नीचे दिए गए लिंक देख लें।👇https://youtu.be/YfVBsbkAGco

  • आरोप 10 ▶️ हम इस मुल्क से कोई प्यार मोहब्बत नहीं करते हैं क्योंकि क़ुरआन में धर्म नाम की किसी भी चीज़ का वर्णन नहीं है मेरे क़ुरआन में केवल मेरे धर्म यानी इस्लाम की चिंता करने की बात कही गई है हम इस मुल्क से प्यार करते हैं।

जवाब:-  हम इस मुल्क से प्यार करते हैं तभी तो दिन रात लोगों को भड़काउ मैसेज और नफ़रत फैलाकर इस मुल्क को तोड़ने में नहीं लगे रहते। साथ ही क़ुरआन में सिर्फ़ मुसलमानो की नहीं बल्कि तमाम इंसानों की बात कही गई है। ख़ुद पढ़ कर देख लें और ख़ुद को नहीं पढ़ना है तो कम से कम दूसरों को तो झूठा चित्रण कर पढ़ने से तो ना रोकें ।

अंत:- ▶️ पढ़ने के बाद समझ में आये तो ठीक नहीं तो मेंटास की गोली खाओ आँख खोलने के लिए कश्मीर में 370 हटने के बाद देख लो जम्मू शांत, लद्दाख शांत, बस कश्मीर में जहाँ ये शांतिदूत है वहीं सारी दिक्कत है..

जवाब:-  यह बात समझने के लिए कोई गोली खाने की ज़रूरत नहीं है कि क्यो दिल्ली, यूपी बॉर्डर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र में चल रहे किसान आंदोलन, ट्विटर पर रोजगार को लेकर चल रहे ट्रेंड, तेल कीमत, बढ़ती महँगाई आदि को लेकर देशभर में हो रहे आंदोलनों से हटा कर आपका ध्यान दूर कश्मीर की तरफ़ ही क्यों घुमाया जा रहा है? यह अब इतना स्पष्ट हो गया है कि हर एक जागरूक व्यक्ति यह समझ रहा है।

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