सवाल:- मुसलमान दाड़ी क्यों रखते है..? दाढ़ी जवानी मे ही रख लेते है, बुढ़ापे मे क्यों नहीं....?

जवाब:–

पैगम्बर ऐ इस्लाम / अंतिम संदेष्टा नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दाढ़ी मुबारक बहुत घनी थी।
(मुसनद अहमद)

दाढ़ी रखना हमारे नबी ए पाक पैगम्बर ऐ इस्लाम / अंतिम संदेष्टा (स.अ.व.) का सुन्नत (तरीका) है।

जो शख़्स जिससे मुहब्बत करता है उसी के तरीकों को इख्तियार (अनुसरण) करता है।

आज ज़्यादातर नौजवान बॉलीवुड एक्टरों से मुहब्बत करते हैं उनको अपना आइडियल और रोल मॉडल मान कर उनके तरीके को फॉलो करते हैं उनके जैसे बाल रखते हैं कपड़े पहनते हैं बल्कि फैशन के नाम पर अजीब-अजीब हरकत इख्तियार कर लेते हैं।

जबकि हम मुसलमान तो, किरदार में सबसे आला हर इंसानी अखलाक और खूबी में सबसे बेहतरीन हस्ती हज़रत मोहम्मद (स.अ.व.) को अपना आइडियल मानते है।

जिनकी श्रेष्ठता सिर्फ़ मुस्लिम ही नहीं बल्कि गैर मुस्लिम भी मानते हैं और उन्हें मानव इतिहास के 100 सबसे अधिक प्रभावी हस्तियों की फ़ेहरिस्त में नंबर 1 पर रखा जाता है।👇                            https://www.biographyonline.net/people/100-most-influential.html 

जानिए इसका कारण, माइकल एच. हार्ट, एक ईसाई अमेरिकी, ने पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) को 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में शीर्ष पर क्यों रखा?👇   https://www.alsiraj.net/English/opinion/html/page02.html

किसी ने नंबर 2 पर रखने के बावजूद उन्हें नंबर 1 होने के योग्य माना।👇                                    https://t.co/yPbcB0rLc7

 

हम मुहम्मद (स.अ.व.) ही से सबसे ज़्यादा मुहब्बत करते हैं और उन्ही को फॉलो करते हैं और उन्ही के जैसा बनना चाहते हैं। इसलिए हम दाड़ी रखते हैं।

जहाँ दुनियावी फैशन और तरीके अक्ल और फायदे से खाली होते हैं वहीँ पैगम्बर ऐ इस्लाम हुज़ूर पाक (स.अ.व.) के तरीके में अनगिनत फायदे और हिकमत (उत्तम युक्ति) होती हैं जिनको साइंस और हर अक्लमंद व्यक्ति कुबूल करता है।

उनमें से कुछ बताता चलता हूँ ।

हमारे नबी ने हमें दिन प्रतिदिन करने वाले सभी काम कैसे करना है वह भी सिखाये हैं जैसे कैसे खाना चाहिए? कैसे पानी पीना चाहिए? कैसे सोना चाहिए? इन सब पर जब विशेषज्ञों ने रिसर्च किये तो कई लाभ सामने आए ।

जैसे: पानी बैठ कर पीने से किडनी और पैरो में होने वाली बीमारियों से बचा जाता है।

जैसे: सीधी तरफ़ करवट करके सोने के कई फायदे सामने आऐ है। आदि

वैसे ही दाढ़ी रखने के बारे में भी विशेषज्ञो के शोध से कई फायदे मालूम हुए हैं जैसे :-

  • 1. त्वचा के कैंसर से बचाव-                                  सदर्न क्वीन्सलैंड के शोध की मानें तो दाढ़ी रखने से सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से 95 प्रतिशत तक बचाव होता है जिससे त्वचा के कैंसर का रिस्क नहीं रहता है।
  • 2. दमकती और तंदुरुस्त त्वचा-
    ओहियो स्टेट वेक्सनर मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का मानना है कि दाढ़ी रखने से त्वचा पर बैक्टीरियाई संक्रमण से दाढ़ी बचाती है जिससे मुंहासे, दाग या रैशेज नहीं होते हैं। इससे त्वचा, शेविंग की गई त्वचा की अपेक्षा अधिक स्वस्थ और दमकदार रहती है।
  • 3. एलर्जी से बचाव-
    एलर्जी एंड अस्थमा सेंटर ऑफ न्यूयॉर्क मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञों का मानना है कि दाढ़ी चेहरे पर प्रदूषण के कणों को प्रवेश करने से रोकती है इसलिए इसे रोज़ अच्छे से साफ़ करें।
  • 4. सबसे कीमती वक्त-
    अमेरिका की बॉस्टन यूनिवर्सिटी के त्वचाविज्ञानी डॉक्टर हर्बर्ट मेस्कॉन ने बताया था कि एक औसत व्यक्ति अपने जीवनकाल में करीब 3,350 घंटे शेविंग करने में ख़र्च करता है। मतलब अपने जीवन के लगभग 5 महीने।।
  • 5. पहचान
    किसी भी अनजान मुल्क या जगह में अकेला और मुसीबत में पड़ने पर अनजान लोगों की भीड़ में दाढ़ी के ज़रिए अपने मुस्लिम भाई को पहचान सकता है, भरोसा कर सकता है मदद मांग सकता है।

इसके अलावा मर्दाना रौब, चेहरे पर नर्मी, शेविंग की फिजूलखर्ची से बचाव, दाड़ी औरत और मर्द में फर्क भी करती है, दाड़ी सिर्फ मर्दों कि होती है औरतो की नहीं। इसके अलावा और भी कई बेशुमार फायदे हैं।

आख़िर में आप कहते हैं कि “अभी जवान हो अभी कटवा लो बाद में रख लेना”?

तो इसका जवाब है कि इस्लाम बुढ़ापे का मज़हब नहीं है कि ज़िदगी भर जी चाहे वह करो और धर्म-कर्म बुढ़ापे के लिए है।

नहीं! बल्कि यह तो प्राकृतिक जीवन शैली (Natural way of life) है और पूरी ज़िंदगी पालन के योग्य है साथ ही मुहब्बत का भी यह तक़ाज़ा नहीं कि बुढ़ापे में जाकर इस तरीक़े को अपनाया जाए बल्कि असली अमल तो जवानी में है।

और वैसे भी जब दाढ़ी रखने के इतने सारे फायदे हैं तो मैं उन्हें हासिल करने के लिए बुढ़ापे का और बिमारियों में पड़ने का इंतज़ार क्यों करूँ ? और अभी जवानी ही में दाढ़ी क्यों ना रखूँ?

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