प्रश्न नंबर 1 - फ्रांस के खिलाफ इतना बड़ा प्रदर्शन और मुसलमानों का क़त्ले आम करने वाले चीन पर चुप्पी क्यों? क्या सिर्फ़ इसलिए कि चीन भारत का दुश्मन है और फ्रांस भारत का दोस्त... सवाल तो बनता है!
जवाब:- चलिए इस बहाने ही सही आपने यह तो माना कि मुसलमानों का क़त्ले आम हो रहा है उन पर अत्याचार हो रहा है। क्या यह आतंकवाद नहीं है? आप फ्रांस में किसी एक शख़्स की मौत हो जाने पर तो अपना पूरा समर्थन दे देते हैं उसके लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देते हैं। उसे रोकने के लिए सभी साथ आ जाते हैं। लेकिन ख़ुद आपके अनुसार “मुसलमानों का जो कत्ले आम” हो रहा है उसके खिलाफ कभी एक शब्द नहीं कहते? ना उसका कभी इस तरह का विरोध करते हैं?
क्या सिर्फ़ इसलिए कि यहाँ मरने वाले मुसलमान हैं? क्या यह ख़ुद आपकी ही ज़ुबान से आपका दोहरा चरित्र उजागर नहीं कर देता?? सवाल तो बनता है।
अगर हमारी बात करें तो हम ना सिर्फ़ चीन बल्कि म्यांन्मार, फिलिस्तीन, सीरिया तमाम दुनियाभर में मुसलमानों पर आतंकवाद के आरोप की आड़ में हो रहे अत्याचार बल्कि आतंकी हमलों के खिलाफ बोलते भी हैं और उसका विरोध भी करते हैं। लेकिन आप जैसे लोग ही यह बात कभी स्वीकार ही नहीं करते और उन पर हो रहे ज़ुल्म पर आँख बंद कर लेते हैं और दोहरे मापदंड (Double standards) का प्रदर्शन करते हैं।
रही बात की यह विरोध उस स्तर का क्यों नहीं जिस तरह मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम के अनादर के मामले में है तो यह बात जग जाहिर है कि एक मुसलमान के लिए उसकी ख़ुद की जान से भी प्रिय मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम की शान है। ख़ुद पर हो रहे अत्याचार को एक बार वह ज़रूर सहन कर लेगा या कम आवाज़ उठाएगा लेकिन अपने पैगम्बर के मामले में वह अपने सामर्थ्य से अधिक करने का प्रयास करेगा।